हरियाणा में फिर शुरू होगा बरसात का दौर, पश्चिमी विश्वोभ बरपाएगा कहर

चंडीगढ़ | हरियाणा में फिर से बारिश दस्तक देने वाली है. ऐसा इसलिए क्योंकि आज से प्रदेश में एक बार फिर पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है, जिससे बारिश की संभावना बनी हुई है. बारिश की वजह से अनाज मंडियों का कामकाज भी प्रभावित हो सकता है क्योंकि इस वक्त अनाज मंडियां धान और बाजरा की आवक से अटी पड़ी हैं. अक्टूबर का दूसरा सप्ताह भी बारिश के मामले में लगभग सूखा रहा है.

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अब ऐसा रहेगा मौसम

मौसम विभाग ने बताया है कि एक और ताजा कमजोर पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव के कारण उत्तर भारत में बारिश का अगला दौर 14 से 16 अक्टूबर के बीच देखने को मिल सकता है. इस विक्षोभ के कारण 17 से 16 अक्टूबर की अवधि में एक बार फिर बड़े पैमाने पर हल्की बारिश संभव है. 13 से 19 अक्टूबर की अवधि के दौरान राज्य में औसत वर्षा का स्तर सामान्य से अधिक रहने की संभावना है. अगले सप्ताह यानी 20 से 26 अक्टूबर के बीच राज्य में बारिश की दृष्टि से मौसम शुष्क रहने की संभावना है.

अक्टूबर में कम हुई बारिश

इस अवधि के लिए सामान्य वर्षा स्तर 2.6 मिमी की तुलना में राज्य में चालू सप्ताह में केवल 1 मिमी वर्षा हुई है. यह औसत स्तर से 62 फीसदी कम है. मौसम विभाग ने इसे राज्य में औसत बारिश के लिहाज से बड़ी कमी यानी बड़ी कमी आंका है. मानसून की विदाई के बाद शुरू हुए नये सत्र को देखते हुए इस अवधि के सामान्य वर्षा स्तर 5.6 मिमी की तुलना में मात्र एक मिमी वर्षा को औसत से 82 प्रतिशत की गिरावट के रूप में रेखांकित किया गया है.

कुरूक्षेत्र में हुई अच्छी बारिश

पूरे प्रदेश में इस सप्ताह कुरूक्षेत्र, अम्बाला और यमुनानगर को छोड़कर सभी जिलों में औसत वर्षा के स्तर में 100 प्रतिशत की गिरावट आई है. मौसम विज्ञान केंद्र द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस सप्ताह राज्य में बारिश के मामले में सबसे अच्छी स्थिति कुरूक्षेत्र में रही, जहां इस अवधि के सामान्य वर्षा स्तर 1.9 मिमी की तुलना में 8.4 मिमी बारिश दर्ज की गई. यह औसत से 344 फीसदी ज्यादा है.

इस अवधि के दौरान अंबाला में सामान्य वर्षा स्तर छह एमएसएम की तुलना में 9.8 मिमी वर्षा दर्ज की गई. यह औसत से 64 प्रतिशत अधिक है, जबकि यमुनानगर में इस अवधि के सामान्य वर्षा स्तर 6.5 मिमी की तुलना में 9.3 मिमी वर्षा हुई. यह जिले के औसत वर्षा स्तर में 44 प्रतिशत की वृद्धि है. इसके अलावा, कैथल में इस अवधि के लिए सामान्य वर्षा स्तर 1.1 मिमी की तुलना में 0.1 मिमी वर्षा दर्ज की गई. यह औसत से 87 फीसदी कम है. करनाल समेत प्रदेश के अन्य सभी जिलों में इस अवधि के औसत वर्षा स्तर से सौ फीसदी की कमी रही.

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