यमुनानगर में कचरा उठान हुआ हाईटेक, जानिए क्यों पड़ी इसकी आवश्यकता

यमुनानगर । कचरे के तोल में एजेंसी किसी तरह का घालमेल नहीं कर पाएगी, न हीं उठान में किसी कॉलोनी की अनदेखी कर पाएगी. बता दें कि नगर निगम ने पूरी प्रक्रिया को हाईटेक कर दिया है. औरंगाबाद में बने मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर पर कचरा लेकर वाहन जैसे ही इलेक्ट्रॉनिक वे ब्रिज से गुजरेगा, तो वजन का मैसेज निगम कार्यालय तक पहुंच जाएगा. बता दें कि यह व्यवस्था होने पर कचरे के तोल में किसी तरह का घोल मोल नहीं होगा.

SAFAI

अब कचरा उठाने में नहीं होगी गलियों व कॉलोनियों की अनदेखी 

बता दें कि पूर्व में कचरे को तोल को लेकर बड़े फर्जीवाड़े सामने आए थे. इसके अलावा शहर की गलियों में आरएफआईडी टैग लगाए जाएंगे. ऐसे 4500 टैग लगाए जा चुके हैं. कुल 10000 टैग लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है. सभी वार्डों की प्रत्येक गली में ट्रैकिंग सिस्टम लगाया जाएगा. साथ ही गली में कचरा उठाने के लिए जैसे ही निगम का टिप्पर ट्रैकिंग सिस्टम के सामने से निकलेगा तो आरएफआईडी यानी रेडियो फ्रिकवेंसी आइडेंटिफिकेशन पर आधारित होने के कारण तुरंत मैसेज सर्वर रूम में चला जाएगा. इससे यह पता चल जाएगा कि टिप्पर चालक गली में कचरा उठाने आया था या नहीं .

औरंगाबाद में कचरे का प्रबंधन शुरू

बता दें कि नगर निगम में 1 से 11 व 12 से 22 के 2 वार्ड जोन बनाकर डोर टू डोर कचरे के उठान की व्यवस्था की है. दो एजेंसियों को वर्क अलॉट किया गया है. एजेंसियों ने काम करना भी शुरू कर दिया है. बता दें कि औरंगाबाद में प्लांट लगाया गया है. मिट्टी,पत्थर व प्लास्टिक से आरडीएफ व गीले कचरे से जैविक खाद तैयार की जा रही है. डोर टू डोर कचरा उठाने के साथ छंटनी की जिम्मेदारी भी एजेंसी की ही होगी. डंपिंग पॉइंट से ही कचरा उठाया जाएगा. दोनों जोनो से हर दिन 300-400 एमपी कचरा निकल रहा है.

हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!