हरियाणा: स्ट्रीट लाइट टेंडर में 900 करोड़ का घोटाला, बैकफुट पर शहरी निकाय अधिकारी

चंडीगढ़ | हरियाणा में स्ट्रीट लाइट टेंडर प्रक्रिया में बड़ा घोटाला सामने आया है. इस घोटाले के उजागर होने पर शहरी निकाय विभाग के अधिकारी बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. करीब 600 करोड़ रुपए के काम के टेंडर को 900 करोड़ रुपए में जारी करने पर प्रदेश सरकार ने शहरी निकाय विभाग के अधिकारियों से जवाबतलब किया है.

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इस मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि शहरी निकाय विभाग ने जिन कंपनियों को टेंडर जारी किया है ,वह पहले ही संदेह के घेरे में है और उनके खिलाफ इन्क्वायरी चल रही है. 900 करोड़ रुपए में टेंडर जारी होने के बाद अब इन कंपनियों से इससे कम राशि में काम करने के लिए मोल-भाव किया जा रहा है जबकि नियम के मुताबिक यदि सरकार को टेंडर में घपलेबाजी नजर आती है तो उसे रद्द कर नए सिरे से टेंडर जारी किया जा सकता है.

शहरी निकाय विभाग का एक उच्च अधिकारी अपने ट्रांसफर से ठीक एक दिन पहले स्ट्रीट लाइट का टेंडर जारी कर निकल गया था. इस टेंडर प्रक्रिया में छोटी कंपनियों ने शुरू से ही गोलमाल का अंदेशा जताया था. इन कंपनियों की आंशका दूर करने के लिए हरियाणा सरकार ने फाइनेंशियल एवं टेक्निकल जांच के लिए एक नौ सदस्यीय कमेटी का गठन किया था लेकिन कमेटी की रिपोर्ट आने से पहले ही उसे भंग कर दिया गया और मनपसंद कंपनियों को लाभ पहुंचाने की मंशा से उन्हें टेंडर जारी कर दिया गया. छोटी कंपनियां 900 करोड़ के इस काम को 600 करोड़ रुपए में करने को तैयार थी लेकिन टेंडर की मात्र एक शर्त की वजह से वह रेस से बाहर हो गई.

शहरी निकाय विभाग के अधिकारियों ने पहले ही अपनी मनपसंद कंपनियों को टेंडर देने की प्लानिंग तैयार कर ली थी. अधिकारियों ने टेंडर प्रक्रिया में शर्त रखी कि वही कंपनी इसमें भाग लें सकती है ,जिसकी टर्न ओवर 1150 करोड़ रुपए की है. शहरी निकाय विभाग के इस निर्णय से छोटी कंपनियां अपने आप रेस से बाहर हो गई. कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा, किरन चौधरी ने जब इस मामले पर आपत्ति जताई तो अधिकारी बीच का रास्ता तलाशने में जुट गए. बीच का रास्ता भी नियमों को ताक पर रखकर खोजा जा रहा है. विभाग के मौजूदा अधिकारी अब इस मामले में खुद को असहज महसूस कर रहे हैं और उन्हें डर सता रहा है कि कही गृहमंत्री विज ने रिपोर्ट तलब कर ली तो जबाब देना मुश्किल हो जाएगा.

डिफाल्टर कंपनियों से हो रही है सौदेबाजी

विभाग के जिस अधिकारी पर टेंडर में गोलमाल के आरोप लगे हैं वह अवैध निर्माण को लेकर रोहतक में एक सांसद से उलझ चुका है. बात उपर तक गई तो इस अधिकारी का विभाग से ट्रांसफर कर दिया गया लेकिन जाते-2 वह खेल रच गया.

डिफाल्टर की श्रेणी में होने के बावजूद भी उन कंपनियों को टेंडर जारी किया गया जो पहले से ही संदेह के घेरे में है. अब इन कंपनियों को बुलाकर कहा जा रहा है कि 900 करोड़ के कार्य को कुछ सस्ते में किया जाएं , जबकि टेंडर होने पर ऐसी सौदेबाजी नियमों के विपरित है.

अनिल विज के दरबार में पहुंचेगा मामला

व्यापार संगठन के अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने इस मामले में अनिल विज को पत्र लिखने की बात कही है . उन्होंने कहा कि टेंडर ओपन होने के बाद सौदेबाजी का कोई औचित्य नहीं है. सरकार को चाहिए कि इस टेंडर को रद्द कर नए सिरे से टेंडर जारी किया जाएं ताकि छोटी कंपनियां भी इसमें शामिल हों सकें. वहीं शहरी निकाय विभाग के अधिकारी इस मामले को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं और कुछ भी कहने से परहेज़ कर रहे हैं.

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