HAU और करनाल शोध सेंटर ने तैयार की गेहूं की तीन नई किस्में, प्रति एकड़ मिलेगा 26 से 28 क्विंटल गेहूं उत्पादन

हिसार | हरियाणा के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है. करनाल के गेहूं शोध निदेशालय और हिसार के हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने आपसी सहयोग से गेहूं की ऐसी तीन नई किस्में तैयार की है, जिनमें बिना रासायनिक खादों के उपयोग के गेहूं का अधिकतम उत्पादन लिया जा सकेगा. कृषि विज्ञानियों ने दावा करते हुए कहा है कि तीन नई गेहूं की किस्मों DBW-332, DBW-327 और WH-1270 से किसान प्रति एकड़ 26 से 28 क्विंटल तक गेहूं का उत्पादन ले सकेंगे.

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बेशक पिछले कुछ सालों में प्रदेश के किसानों ने अंधाधुंध रासायनिक खादों का इस्तेमाल कर रिकॉर्ड तोड़ गेहूं का उत्पादन लिया हो लेकिन क्वालिटी में लगातार गिरावट दर्ज हुई है. नौबत यहां तक पहुंच गई कि हरियाणा से विदेशों में निर्यात किया गया चावल वहां की सरकारों ने वापस लौटा दिया क्योंकि इसमें रसायनों की मात्रा अधिक पाई गई थी. रासायनिक खादों के अत्यधिक उपयोग से गेहूं का उत्पादन बढ़ाने की होड़ में भले ही किसानों ने मोटी कमाई की हो लेकिन इसका विपरीत असर लोगों के स्वास्थ्य, पर्यावरण और जमीन की उर्वरक क्षमता को प्रभावित कर रहा है.

रासायनिक खादों का प्रयोग घटाने और गेहूं उत्पादन प्रभावित न हो, इसी को ध्यान में रखते हुए हिसार स्थित हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और करनाल के गेहूं शोध निदेशालय ने तीन नई किस्में ईजाद की है. हरियाणा बीज विकास निगम के एक अधिकारी ने बताया कि इन किस्मों के बीज अगले साल से बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध करा दिए जाएंगे.

3 लाख क्विंटल बीज तैयार करेगा निगम

हरियाणा बीज विकास निगम लिमिटेड के मुख्य प्रबंधक सुनील कुमार ने बताया कि प्रदेश में लगभग 60 लाख एकड़ जमीन पर गेहूं की बिजाई होती है. ऐसे में किसानों को 25 लाख क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है. इसमें से करीब 16 लाख क्विंटल बीज किसान बाजार से खरीदते हैं जबकि 40 प्रतिशत तक किसान खुद का बीज तैयार करके उपयोग में लाते हैं. ऐसे में निगम ने इस बार तीन लाख क्विंटल बीज तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

पुराने बीजों से भी बेहतर उत्पादन

निगम प्रबंधक सुनील कुमार ने बताया कि बाजार में उपलब्ध निगम का HD-3086 पिछले आठ सालों से किसानों को बेहतर उत्पादन दें रहा है. इसके अलावा DBW-303, DBW- 222 और DBW- 187 एक साल पहले बाजार में उतारे गए थे और पहले ही साल से तीनों बीजों से किसानों को अच्छी पैदावार मिल रही है.

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