ओलम्पिक के सुरमा: अनार फटने से जल गया था हाथ, सोते हुए भी करतीं थीं बॉक्सिंग की बात

भिवानी । महिला बॉक्सर पूजा बोहरा खेल के दौरान डिफेंस की बजाय पंच जड़ने में ज्यादा विश्वास रखतीं हैं. छोटे भाई से गली या स्कूल में कोई बुरा बर्ताव करता था तो बर्दाश्त नहीं करती थी और तुरंत मुक्का जड़ कर हिसाब बराबर कर देती थी. स्कूल से घरवालों को शिकायतें मिलती थी कि लड़की मुक्के बाज है. दूसरी लड़कियों से बिल्कुल अलग है.

BOXER POOJA
सूट सलवार की जगह जींस पहनी और स्कूटी चलाने की बजाय बाईक को ज्यादा दौड़ाया. जी हां हम बात कर रहे हैं भिवानी जिले के गांव नीमड़ीवाड़ा की पूजा की , जिन्होंने कम भारवर्ग से लेकर हैवीवेट तक के मुकाबलों में कई सोने के तमगे अपने नाम किए हैं. पूजा बोहरा फिलहाल टोक्यो ओलम्पिक के लिए इटली में पसीना बहा रही है.

10 साल से किसी शादी में नहीं गई

ओलम्पिक कोटा हासिल करने वाली पूजा बोहरा हिंदुस्तान की पहली महिला बॉक्सर हैं. इससे पहले मैरीकॉम को वाइल्ड कार्ड के जरिए लंदन ओलंपिक में इंट्री मिलीं थीं. पूजा ने बताया कि पिछले 10 सालों से वो किसी की शादी में नहीं गई है क्योंकि बाहर के खाने की मैं बिल्कुल भी शौकीन नहीं हूं. लेकिन जब घर लौटती हूं तो मां के हाथ की बनी खीर, चूरमा और लाल मिर्च की चटनी का स्वाद जरुर लेती हूं.

ट्रैनिंग के दौरान चोट लगी, लेकिन अभ्यास जारी रखा

पिता राजबीर ने बताया कि पूजा ने खेल की शुरुआत में बास्केटबॉल को चुना था. उसकी लगन और काबिलियत को शारीरिक शिक्षिका मुकेश रानी ने पहचाना और इसका जिक्र अपने पति और कैप्टन हवासिंह के पुत्र संजय से की. उन्होंने कालेज के कुछ मुकाबलों में पूजा का खेल देखा और उन्हें मुक्केबाजी में कैरियर बनाने की सलाह दी. लेकिन पूजा की मां इस बात को लेकर डरी हुई थी कि बॉक्सिंग के दौरान मुंह पर चोट लगने से कही शादी में परेशानी ना हो जाए.

पूजा ने भी सिर्फ छः महीने में स्टेट और एक साल में नेशनल गोल्ड मेडल जीतकर अपनी प्रतिभा को दिखा दिया.पूजा के भाई अरविंद बताते हैं कि अभ्यास के दौरान पांव में चोट लगने के बावजूद भी एक दिन के लिए भी अभ्यास करना नहीं छोड़ा. दीवाली पर हाथ में अनार फटने से डेढ़ साल तक रिंग में नहीं उतरी लेकिन मुक्केबाजी की बात हर वक्त मुंह पर ही रहतीं थीं.

हाईट और स्पीड का मिलेगा फायदा: कोच संजय

पूजा बोहरा को शुरुआत से ही प्रशिक्षण दे रहे कोच संजय ने बताया कि इस बार पूजा के ओलम्पिक में पदक जीतने के काफी चांस हैं. उनकी हाईट और स्पीड उन्हें दूसरे मुक्केबाजों के मुकाबले कहीं बेहतर साबित कर रही है. पूजा इटली में अपने ओलम्पिक प्रतिद्वंद्वियों से भी अभ्यास के दौरान काफी कुछ सीख रही है.

मुक्केबाजी की वीडियो देख सुधार रहीं हैं स्किल

कोच संजय के साथ पूजा यूरोपियन क्वालीफायर के मुकाबलों को बड़ी बारीकी से देख रही है. अपने प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबलों को देख मानसिक रूप से भी प्रतियोगिता की कल्पना करतीं हैं. वह प्रत्येक मुक्केबाज के खेलने की शैली का बारीकी से अध्ययन कर रहीं हैं.

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