स्पेशल रिपोर्ट: हरियाणा में बच्चों के पास नहीं हैं किताबें, जानिए हरियाणा के स्कूलों में शिक्षकों के क्या हैं हालात

चंडीगढ़ | हरियाणा में निजी स्कूलों को टक्कर देने का दम भर रहे सरकारी स्कूलों की जमीनी हकीकत चिंताजनक है. स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए 20 हजार से अधिक शिक्षक कम हैं. यही नहीं इस सत्र में पहली से आठवीं के बच्चों को अब तक किताबें तक नहीं मिल पाई हैं. प्रदेश में इस सत्र में स्कूलों में 1.60 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं. इसके अनुपात में शिक्षकों की नई भर्ती नहीं हो पाई है.

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हरियाणा में शिक्षकों के 34 हज़ार से अधिक पद खाली हैं, पर 13 हज़ार अतिथि और 800 तदर्थ अध्यापकों से काम चल रहा है. ऐसे में निजी स्कूलों को टक्कर देने का स्कूल शिक्षा विभाग का दावा कमजोर पड़ता हुआ नज़र आ रहा है. शैक्षणिक सत्र पहली अप्रैल से शुरू हो चुका है. न अब तक शिक्षकों के तबादले हुए और न ही विद्यार्थी संख्या के लिहाज से रेशनलाइजेशन हो पाया. ऑनलाइन तबादलों में शिक्षा विभाग कैप्ट वैकेंसी इसलिए ही रखता है.

रेशनलाइजेशन न होने से 500 प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की संख्या के लिहाज से कम शिक्षक हैं. 800 स्कूलों में बच्चों की संख्या से ज्यादा शिक्षक हैं, तो वहीं 70 से ज्यादा प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं, जहां शिक्षक ही नहीं हैं.

स्कूलों में शिक्षकों की कमी की स्थिति

नवंबर 2020 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में पक्के जेबीटी 6,217, मुख्य शिक्षक 842, टीजीटी 10,225, मौलिक मुख्याध्यापक 2,365, लेक्चरर 12,960, मुख्य अध्यापक 676, प्रिंसिपल 991 कम हैं. यह कुल संख्या 34,276 बनती है. कार्यरत 5,000 गेस्ट जेबीटी, 6000 टीजीटी, 2000 गेस्ट पीजीटी, व 800 तदर्थ शिक्षकों के पदों को भी भरा हुआ मान लें तो भी 20,476 खाली रह जाते हैं.

क्या कहते हैं शिक्षा मंत्री?

शिक्षा मंत्री कंवरपाल का कहना है कि विभिन्न श्रेणी के पदों को भरने के लिए कर्मचारी चयन आयोग के जरिए भर्ती प्रक्रिया जारी है. जेबीटी लगभग पूरे हैं. अन्य श्रेणी के शिक्षकों की कमी जल्द दूर हो जाएगी. पहली से आठवीं तक के बच्चों के लिए 30 फीसदी किताबें बाजार में उपलब्ध थीं, व अन्य को पुराने छात्रों और प्रकाशनों से दिलाने के प्रयास जारी है.

छ माह पहले नहीं किया किताबों का टेंडर

स्कूल शिक्षा विभाग पहली से आठवीं के बच्चों को निशुल्क किताबें मुहैया कराने के लिए दिसंबर महीने में टेंडर कर देता है. इस बार दिसंबर तो दूर मार्च अप्रैल तक टेंडर नहीं हुआ और मई में विभाग ने बच्चों को किताबें मुहैया कराने से हाथ खड़े कर दिए. बच्चो को 200 से 300 रुपये किताबें खरीदने के लिए देने की घोषणा तो की गई, लेकिन उनके खातों में राशि आज तक नहीं पहुँच पायी है.

बता दें हरियाणा के अलावा कई अन्य राज्य भी ऐसे हैं, जहां पर स्कूलों की और भी ज्यादा बदतर स्थिती है. देश की राजधानी दिल्ली को अगर छोड़ दिया जाए, तो ज्यादातर राज्यों में स्कूलों की यही हालत है. उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड, बंगाल, मध्य प्रदेश जैसे तमाम राज्यों में स्कूलों की हालत गंभीर है. गौरतलब है कि सरकारों को सतर्क होना पड़ेगा और स्कूलों के हालात में सुधार करना पड़ेगा. वरना हरियाणा के ही नहीं, बल्कि पूरे देश के बच्चों का एजुकेशन लेवल बहुत नीचे चला जाएगा.

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