पाताल में पहुंचा भू-जल स्तर, प्रदेश के इन 14 जिलों में हालात बद से बद्तर

चंडीगढ़ । प्रदेश में भू-जल की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है. हालात सुधरने की बजाय बद से बद्तर हों रहें हैं. प्रदेश के 14 जिलों में तो यह समस्या विकराल रूप ले चुकी है और पानी पाताल में चला गया है. कुल 141 ब्लॉक में से 85 ब्लॉक की हालत ये है कि उन्हें रेड जोन की श्रेणी में जगह दी गई है. सबसे ज्यादा बूरा हाल हिसार, सिरसा, जींद, पानीपत, सोनीपत, झज्जर, भिवानी, रेवाड़ी, महेन्द्रगढ़, करनाल, कुरुक्षेत्र और अंबाला जिलों में हैं. इन जिलों के 64 ब्लॉक डार्क जोन श्रेणी में रखें गए हैं.

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सरकार ने भूमिगत जल संरक्षण की दिशा में कई सकारात्मक योजनाओं को क्रियान्वित किया है लेकिन हालात सुधरने की बजाय बदहाल होते जा रहे हैं. जल संरक्षण को लेकर न ही आम आदमी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन कर रहा है और न ही अफसरशाही इस स्थिति को लेकर गंभीर दिखाई दे रही है. प्रदेश में पिछले पांच दशक से भूजल स्तर लगातार नीचे ही गिरता जा रहा है.

दोहन होने की वजह से प्रदेश में भू-जल की स्थिति लगातार गंभीर रूप लेती जा रही है. इस समस्या पर काबू पाने के लिए प्रदेश सरकार जल संरक्षण को लेकर विभिन्न योजनाओं पर भी काम कर रही है लेकिन करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी भूजल को धार देने में कामयाबी हासिल नहीं हो पा रही है. केन्द्र सरकार द्वारा देश में शुरू की गई अटल भू-जल योजना को प्रदेश में कार्यान्वित करने में करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. हाल ही में प्रदेश सरकार ने अटल भू-जल योजना में अटल पाइप लाइन स्कीम के तहत 725 करोड़ रुपए की योजना बनाई है जिनमें रेड जोन में शामिल जिलों के फिलहाल 36 ब्लॉकों की 12.55 लाख हेक्टेयर भूमि को कवर करने की शुरुआत हो गई है. इस गिरते भूजल में सुधार और जल संरक्षण को लेकर अब राज्य सरकार प्रदेश के हर ब्लॉक स्तर पर अलग से वाटर योजना की तैयारी में जुटी है . ऐसी योजना के अंतर्गत वहां पीने का पानी और सिंचाई के लिए पानी का प्रबंध किया जाएगा.

13 जिलों के 64 ब्लॉक डार्क जोन में

  • पलवल – होडल,हथीन, हसनपुर
  • यमुनानगर – साढौरा, रादौर, जगाधरी, मुस्तफाबाद
  • गुरुग्राम- पटौदी, सोहना, फरुखनगर
  • सिरसा- ऐलनाबाद
  • रेवाड़ी- खोल
  • महेन्द्रगढ़- नांगल चौधरी,कनीना,अटेली
  • • फरीदाबाद- बल्लभगढ़
  • करनाल – असंध
  • पानीपत – बापौली, समालखा
  • भिवानी – लोहारू, तोशाम,केरु,बहल,बाढड़ा
  • फतेहाबाद – टोहाना
  • कैथल – राजौंद, गुहला
  • कुरुक्षेत्र – लाडवा, पेहवा, शाहाबाद

तेजी से गिर रहा है भू-जल स्तर

जल विशेषज्ञों के अनुसार राज्य में बीते 42 वर्ष में भू-जल स्तर 60 फुट नीचे जा पहुंचा है. प्रदेश में जहां वर्ष 2000 में भू-जल औसत 31 फीट पर था वहीं अब खासकर फरीदाबाद , गुरुग्राम, रेवाड़ी, कैथल और फतेहाबाद में 88 फीट से नीचे गिर चुका है. यहीं नहीं इन जिलों में शहरी क्षेत्रों में तो हालात और भी ज्यादा खराब है जहां भूजल स्तर 120 फीट से नीचे दर्ज किया गया है. सूबे का 60% क्षेत्र डार्क जोन में शामिल हो गया है.

धान की खेती पर संकट

गिरते भूजल स्तर पर सर्वे रिपोर्ट के अनुसार कम होते भू-जल की सबसे प्रमुख कारण ट्यूबवेल से फसलों की सिंचाई को माना जा रहा है. एक एकड़ धान की फसल में करीब 26 बार सिंचाई करनी पड़ती है. एक रिपोर्ट के अनुसार एक किलोग्राम चावल पैदा करने के लिए 5389 लीटर पानी की खपत होती है. हरियाणा गठन के वक्त राज्य में धान की खेती का रकबा 1.92 लाख हेक्टेयर था जो अब बढ़कर 14 लाख हेक्टेयर के पार हो गया है.

झज्जर के ढाकला गांव ने पेश की मिसाल

प्रदेश में भू-जल की गंभीरता को देखते हुए झज्जर जिले के गांव ढाकला के किसानों ने इस बार सामूहिक निर्णय लेते हुए 3445 एकड़ भूमि में धान की खेती का त्याग कर दिया. दरअसल जिन 36 ब्लाकों को डार्क जोन श्रेणी में रखा गया है उसमें यह गांव भी शामिल हैं.

अटल भू-जल योजना से बदलेगी तस्वीर

देश में भू-जल संसाधनों की कमी को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा क्रियान्वित अटल भू-जल योजना के अंतर्गत प्रदेश सरकार ने इन 14 जिलों को कवर करने का फैसला लिया है. इस योजना के तहत इन जिलों की 1669 ग्राम पंचायत भी शामिल है. इस योजना में सामुदायिक भागीदारी के साथ ऐसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में भू-जल स्तर में सुधार करने के विशेष प्रयत्न किए जा रहे हैं. प्रदेश में योजना के तहत भू-जल संसाधनों का हाइड्रोजियोलॉजिकल डाटा नेटवर्क तैयार किया जाएगा.

देवेंद्र सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव,जल संसाधन विभाग, हरियाणा

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