पुरानी पेंशन योजना पर घबराहट में हरियाणा सरकार, कर्मचारियों से की ये अपील

चंडीगढ़ | न्यू पेंशन स्कीम (NPS) में बदलाव को लेकर हरियाणा सरकार जहां दो कदम आगे बढ़ाने को तैयार हैं. वहीं, राज्य सरकार के कर्मचारियों से भी ऐसी उम्मीद की जा रही हैं कि वह भी सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर थोड़ा आगे बढ़े. सरकार का कहना है कि वह NPS में अपने हिस्से की राशि बढ़ा चुकी है. अब कर्मचारियों की जिम्मेदारी बनती है कि वह भी अपने हिस्से की राशि में थोड़ी बहुत बढ़ोतरी करें. इससे न तो सरकार के खजाने पर वित्तीय बोझ पड़ेगा और न ही कर्मचारियों को किसी तरह का नुकसान होगा.

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हरियाणा के बजट का कुल 32% हिस्सा सोशल सेक्टर की सेवाओं पर खर्च होता है. इसमें सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाला वेतन और पेंशन भी शामिल हैं. साल 2014-15 में कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर 17 हजार 898 करोड़ रुपए खर्च होते थे जो आंकड़ा अब बढ़कर 39 हजार 639 करोड़ रुपए हो गया है.

पुरानी पेंशन स्वीकार करने में खड़ी होगी कई समस्याएं

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पुरानी पेंशन योजना (OPS) को स्वीकार करने पर ढेर सारी समस्याओं से जूझना पड़ सकता हैं और राजकोषीय संसाधनों पर अधिक दबाव बढ़ेगा. हरियाणा के पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान की प्रदेश सरकार पुरानी पेंशन योजना लागू कर चुकी हैं. साल 2023 चुनावी साल है तो ऐसे में हरियाणा सरकार पर भी पुरानी पेंशन योजना लागू करने का भारी दबाव बना हुआ है.

हरियाणा सरकार ने वित्त विभाग को यह आकलन कर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं कि यदि राज्य में पुरानी पेंशन योजना को लागू किया जाए तो इससे सरकारी खजाने पर कितना असर पड़ेगा. वित्त विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा को बजट की 32.84% राशि उधार (कर्ज) के रूप में लेनी पड़ती है और 31.79% राशि हर साल चुकानी भी पड़ रही है. इसमें कर्ज का ब्याज भी शामिल हैं. ऐसे में पुरानी पेंशन योजना को लागू करना किसी बड़े वित्तीय जोखिम से कम नहीं होगा.

कर्मचारी पेंशन में अपना हिस्सा बढ़ाए

सीएम मनोहर लाल ने कर्मचारियों के सामने बीच का रास्ता निकालते हुए एक नया प्रस्ताव रखा है और कहा है कि जिस तरह नई पेंशन स्कीम में हरियाणा सरकार ने अपना हिस्सा 10% से बढ़ाकर 14% किया है. उसी तर्ज पर कर्मचारी भी पेंशन की राशि में अपने हिस्से की राशि में बढ़ोतरी करें. इससे वित्त व्यवस्था के बीच समन्वय बना रहेगा और कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद अधिक लाभ हो सकेगा.

हरियाणा सरकार का कहना है कि जिस कांग्रेस शासित राज्यों में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा हो चुकी है वो इसे चला नहीं पाएंगे. ये राज्य आने वाली पीढ़ी के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं.

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