एनसीआर में उद्योग चलाने को लेकर नई गाइडलाइंस जारी, विरोध में राइस मिलर्स

चंडीगढ़ । बढ़ते प्रदुषण की समस्या खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है. अब इसको लेकर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एनसीआर क्षेत्र में उद्योगों के लिए नई गाइडलाइंस जारी की है ताकि किसी तरह बढ़ते प्रदुषण को नियंत्रित किया जा सकें. हालांकि राइस मिलर्स द्वारा इस नई गाइडलाइंस पर आपत्ति जाहिर की गई है. नए निर्देशों के अनुसार एनसीआर क्षेत्र में पीएनजी वाले उद्योगों को छोड़कर बाकी उद्योग (ऑपरेशन एंड प्रोसेस) एक दिन में 8 घंटे और सप्ताह में केवल 5 दिन सोमवार से शुक्रवार को ही चलाएं जा सकेंगे. शनिवार और रविवार को उद्योग बंद रखने के निर्देश जारी किए गए हैं. राइस मिलर्स ने तर्क दिया है कि मिल चलाने की पूरी प्रोसेस लंबी होती है, इसलिए इन निर्देशों का पालन करना संभव नहीं हो पाएगा.

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आयोग के निर्देशों का हवाला देते हुए हरियाणा राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड ने एनसीआर जिलों के सभी उपायुक्त, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, बिजली, उद्योग, पीडब्ल्यूडी विभाग समेत 11 विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र भेजकर निर्देशों का पालन कराने को कहा गया है. बता दें कि हरियाणा के 14 जिलें एनसीआर क्षेत्र में शामिल हैं और इस क्षेत्र में करीब 400 राइस मिल है. इन मिलों में लाखों टन धान पड़ा है जिससे चावल तैयार किया जाना है.

मिल चलाने की प्रक्रिया 20 घंटे की

राइस मिलर्स विनोद गोयल ने मिल चलाने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सबसे पहले धान को पानी में भिगोया जाता है. इस प्रक्रिया में 10 घंटे का समय लगता है. इसके बाद उस पर स्टीम देनी होती है और बाद में करीब 10 घंटे का समय इसे सुखाने में लग जाता हैं, क्योंकि एक बार बॉयलर के गर्म होने के बाद उसे तुरंत बंद नहीं कर सकते हैं. ऐसा करने पर चावल खराब होने की आंशका बढ़ जाती है,दूसरा इसमें लागत अधिक लगेगी.

टूटेंगे विदेशी करार

नए फैसले से राइस मिलर के सामने समय पर चावल की डिलीवरी देना चुनौती बन गया है. विदेशों में चावल एक्सपोर्ट करने वालों के करार टूटने की आशंका बढ़ने लगी है, क्योंकि उन्होंने अपने मिल की क्षमता के अनुसार ऑर्डर ले रखे हैं. इसी प्रकार, जो मिल CMR (कस्टम राइस मिलिंग) काम करते हैं, उनको सरकार को दिसंबर माह के अंतिम तक 25 % चावल वापस देना है.जो ऐसा नहीं कर पाएगा उस मिल को ब्लैक लिस्टेड करने का प्रावधान है. रोजाना 8 घंटे के हिसाब से मिल चलाने पर चावल डिलीवरी देना संभव नहीं हो पाएगा. इस फैसले पर पुनर्विचार करने की जरूरत है.

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