E टेंडरिंग पर बुरे फंसे हरियाणा के सरपंच, ग्रामीणों का सहयोग नहीं मिलने पर अब बदली रणनीति

चंडीगढ़ | हरियाणा सरकार की E टेंडरिंग प्रणाली को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हरियाणा के सरपंच अब अपने ही फैसले पर घिरते नजर आ रहे हैं. खट्टर सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि E टेंडरिंग प्रणाली किसी भी सूरत में वापस नहीं होगी तो वहीं दूसरी ओर सरपंचों के आंदोलन को आम ग्रामीणों का भी समर्थन नहीं मिल रहा है.

SARPANCH

ऐसे में सरपंचों की नैया बीच मझधार में अटक गई है. ऐसे में सरपंच अपने आंदोलन की रणनीति बदलते हुए अब खुलकर कह रहे हैं कि वो E टेंडरिंग के विरोध में नहीं है बल्कि सरकार से लिमिट बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.

2 लाख की राशि है कम

अब सरपंच अपने- अपने गांवों के लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि वो सरकार की E टेंडरिंग प्रणाली के खिलाफ नहीं है बल्कि आनन-फानन में कराए जाने वाले कामों के लिए 2 लाख रुपये की राशि कम है. इस राशि की लिमिट बढ़ाने की मांग कर रहे हैं ताकि गांव में विकास कार्यों को जल्द-से-जल्द पूरा करवाया जा सके. सरपंचों का कहना है कि E टेंडरिंग में समय अधिक लगता है इसलिए बिना इस प्रणाली के राशि बढ़ाने की मांग ग्रामीणों के लिए की जा रही है.

17 मार्च को विधानसभा का घेराव

10 मार्च को चंडीगढ़ में सरपंच एसोसिएशन की प्रदेश कार्यकारिणी की एक बैठक हुई थी, जिसमें E टेंडरिंग के मुद्दे पर मंथन किया गया था. इसी बैठक के दौरान फैसला लिया गया था कि 17 मार्च को विधानसभा का घेराव किया जाएगा. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरपंचों के इस आंदोलन को ग्रामीणों का किस हद तक साथ मिल पाता है.

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