पुलिस थानों में होने वाली मारपीट पर नजर रखेगी ‘तीसरी आंख’, सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश

चंडीगढ़ ।  अब हरियाणा में पुलिस थानों के भीतर जहां दोषियों या संदिग्धों से पूछताछ की जाती है,उन सब पर तीसरी आंख की नजर रहने वाली है. पुलिस थानों या सीआईए के अंदर होने वाले अमानवीय कार्यों पर अब तीसरी आंख के जरिए पुलिस के आला अधिकारियों तथा सुप्रीम कोर्ट की नजर रहेगी. प्रदेश के सभी पुलिस थानों विशेषकर सीआईए जहां दोषियों व संदिग्धों से पूछताछ की जाती है,वो सब सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में होगा.

Supreme Court

माननीय उच्च न्यायालय के एक आदेश के अनुसार हरियाणा गृह विभाग को आदेश दिए गए हैं कि पुलिस पुछताछ वाली सभी जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं. माननीय उच्च न्यायालय ने एक सुनवाई के दौरान अपने फैसले में यह लिखा है कि अक्सर थानों में कथित रूप से टॉर्चर किए जाने की शिकायतें सामने आती रहती है.

हरियाणा के अंदर अब 379 पुलिस थाने तथा 28 सीआईए थानों के अंदर अब तीसरी आंख यानि सीसीटीवी कैमरों की पैनी नजर रहेगी. माननीय उच्च न्यायालय द्वारा 2020 में एक मामले की सुनवाई करते हुए विभिन्न राज्यों की पुलिस को यह आदेश दिए थे कि पुलिस पर मारपीट व अमानवीय व्यवहार के जो आरोप लगते हैं, इसको मद्देनजर रखते हुए पुछताछ वाली जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं.

मिली जानकारी अनुसार हरियाणा पुलिस विभाग के आला अधिकारियों ने माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन करते हुए एक ड्राफ्ट तैयार कर गृहमंत्री अनिल विज व गृह विभाग हरियाणा को भेज दिया है. गृहमंत्री अनिल विज ने इस ड्राफ्ट को मंजूरी देते हुए अनुमानित 9 करोड़ रुपए का बजट सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए जारी किया है. ऐसे में अब बहुत जल्द पुलिस थानों व ऐसी जगह जहां पुछताछ की जाती है, वहां पर सीसीटीवी कैमरे लगा दिए जाएंगे. पुलिस द्वारा किसी व्यक्ति से कोई अमानवीय व्यवहार न किया जाए,ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने में सीसीटीवी कैमरे काफी कारगर साबित हो सकेंगे.

दिसंबर 2020 में क्या है सुप्रीम कोर्ट के आदेश

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रोहिंटन एफ नरीमन की अगुवा‌ई वाली बेंच ने कहा कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सुनिश्चित करे कि हर पुलिस थाने में सीसीटीवी लगाए जाएं. कोर्ट ने कहा है कि इंट्री, एग्जिट, मुख्य द्वार के अलावा सभी लॉकअप में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं. सीसीटीवी फुटेज और उनके रखरखाव की तमाम जिम्मेदारी थाना एसएचओ की होगी और एसएचओ इस बात को सुनिश्चित करेगा कि सीसीटीवी वर्किंग कंडिशन में रहे. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि सीबीआई, ईडी, एनआईए, एनसीबी, डीआरआई, सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन आदि के दफ्तर में भी सीसीटीवी लगाए जाएं.

कोर्ट ने कहा है कि इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर के ऑफिस, ड्यूटी रुम आदि सब जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं. सीसीटीवी कैमरे नाइट विजन क्वालिटी वाले होने चाहिए और इसमें ऑडियो और वीडियो फुटेज हों. देशभर का कोई भी थाना जहां इंटरनेट और बिजली की सुविधा उपलब्ध नहीं है , वहां इन सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारी होगी. सीसीटीवी कैमरों का डाटा 18 महीने तक प्रिजर्व हों,ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए.

बाजार के सबसे उम्दा सीसीटीवी कैमरे लगें

माननीय उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि अगर बाजार में 18 महीने तक डाटा प्रिजर्व करने वाले उपकरण उपलब्ध नहीं है तो राज्यों को ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि वह अधिक समय तक प्रिजर्व करने वाले उच्च क्वालिटी के सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था करें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जहां भी थाने में किसी पर बल-प्रयोग किया गया है या कस्टोडियल डेथ का मामला हो, वह शिकायत दर्ज करवा सकता है.

शिकायत न सिर्फ NHRC में बल्कि Human Rights कोर्ट में भी करवा सकते हैं. कमिशन या कोर्ट को थाने से सीसीटीवी फुटेज के लिए समन करने का अधिकार होगा. जांच एजेंसी के लिए सीसीटीवी फुटेज संरक्षित किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मौजूदा आदेश की पालना सरकार और संबंधित ऑथोरिटी सही भावना से लागू कराएं.

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