बिना टेस्ट मनमर्जी से लाकर खा रहे दवाई, देशी नुस्खे अपना रहे, बोले- कोरोना भगाने में हवन की धूनी भी कारगर

झज्जर । हरियाणा में कोरोना संक्रमण की तस्वीर के दो पहलू सामने आ रहे हैं. एक तो स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट है जिसके मुताबिक जिले में 11 मई तक कोरोना के कुल 1385 सक्रिय मामले हैं. इनमें से 100 हॉस्पिटल में है. दूसरा पहलू बहुत ही डरा देने वाला है. जिले के सिर्फ 7 गांवों में 1 महीने के अंदर 163 लोगों की मृत्यु हो गई है.

Tantrik

मांडोठी गांव में तीन दंपतियों के साथ-साथ 40 लोगों की मृत्यु हो गई है. इस चीज को केवल इत्तेफाक मानकर अनदेखा नहीं किया जा सकता. ज्यादातर मरने वाले लोगों को पहले तो बुखार आया. फिर उनकी मृत्यु हुई. इन मौतों में कोरोना टेस्ट करवाने के पश्चात घोषित कोरोना मौत नाममात्र है. इन गांवों में डोर टू डोर सर्वे के माध्यम से सेंपलिंग भी नहीं हो रही है.

बुखार हो जाने के पश्चात सैंपलिंग करवाने के लिए लोग हॉस्पिटल में भी नहीं जा रहे हैं और सिस्टम भी ऐसे लोगों को अनदेखा कर रहा है. लोग बुखार हो जाने के पश्चात आसपास के किसी मेडिकल स्टोर से या फिर झोलाछाप डॉक्टर से दवाइयां लेकर खा लेते हैं.

जब परेशानी ज्यादा हो जाती है तो लोग केवल टाइफाइड का ही टेस्ट करवाते हैं , कोरोना का नहीं. इसके पश्चात तबीयत लगातार बद से बदतर होने लगती है जिसकी वजह से मरीज दम तोड़ते जा रहे हैं. इनका अंतिम संस्कार भी कोविड-19 प्रोटोकॉल के हिसाब से नहीं हो रहा है.15,000 की आबादी वाले गांवों में हर गली मोहल्ले में लोगों के मुंह पर मास्क या कपड़ा लिपटा हुआ दिखाई देता है. यहां केवल 20 दिनों में ही 40 मृत्यु हो चुकी है जिनमें से अधिकतर 50 से ज्यादा आयु के थे.

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