हरियाणा का ऐसा गांव जहां ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे युवा, 12वीं पास करते ही भर लेते हैं विदेश की उड़ान

जींद | रोजगार के लिए विदेशी धरती का रूख करने के मामले में पंजाब राज्य का नाम सबसे पहले लिया जाता है लेकिन अब हरियाणा भी इससे अछूता नहीं रहा है. यहां के युवाओं में भी विदेश जाने का क्रेज बड़ी तेजी से बढ़ रहा है. इसी कड़ी में हम जींद जिले के एक ऐसे गांव का जिक्र करेंगे, जहां प्रत्येक घर से एक या दो लोग परदेशी हो चुकी है और ऐसा सिलसिला एकाध साल से नहीं बल्कि वर्षों से चला आ रहा है.

Haryana Village Gaon

बता दें कि जींद जिले के गांव दुराना से पिछले 5 साल के दौरान दर्जनों युवक विदेश का रूख कर चुके हैं. परम्परा ही ऐसी बनी हुई है कि गांव में कोई भी युवा जैसे ही अपने पैरों पर खड़ा होने लायक होता है, वह रोजीरोटी की तलाश में विदेश का रूख कर लेता है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस गांव में ढूंढने पर मुश्किल से कुछ युवा मिलें वरना बाकी सभी युवा नौकरी के लिए विदेश को बेहतर विकल्प मानते हुए उड़ान भर चुके हैं.

12वीं पास करने का इंतजार

इस मामले को लेकर दुराना गांव के लोगों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि यहां किसी भी घर में बच्चा जैसे ही 12वीं कक्षा पास कर लेता है तो नौकरी की तलाश शुरू कर देता है और उनकी पहली प्राथमिकता विदेश में जाकर नौकरी करना है. विदेशों में एक तो काम मिलना आसान रहता है तो वहीं अच्छी- खासी कमाई भी हो जाती है.

सूनी मिलेगी गलियां

ग्रामीणों ने बताया कि विदेशों में खूब कमाई के चलते इस गांव में एक से बढ़कर एक खूबसूरत कोठियां है लेकिन इन कोठियों से लेकर गांव की गलियां सूनी ही नजर आती है. गांव में आपको बुजुर्ग ही बैठे हुए मिलेंगे. ग्रामीण सूबे सिंह ने बताया कि उसके 3 बच्चे हैं और तीनों ही विदेश में नौकरी करते हैं.

एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि उसके 30 लोगों के परिवार में 12 सदस्य विदेश में हैं जबकि कुछ कामकाज के लिए बाहर ही रहते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि बच्चे छोड़कर दूसरे देश चले जाते हैं, दुःख तो बहुत होता है लेकिन क्या कर सकते हैं. देश में युवाओं को अच्छा काम मिलना मुश्किल हो गया है.

बच्चों की शक्ल देखने को तरसे

ग्रामीणों का कहना है कि एक बार विदेश जाने के बाद बच्चे वहां से पैसे तो खूब भेजते हैं, लेकिन खुद यहां आने से भरसक परहेज ही करते हैं. बच्चों की शक्ल देखें सालों हो जाते हैं. बता दें कि ढाई हजार की आबादी वाले इस गांव में 30 फीसदी लोग सिख समुदाय से हैं. इस गांव के 30 से अधिक युवक फिलहाल विदेश में हैं.

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