100 सालों के बाद लग रहा हाइब्रिड सूर्य ग्रहण, इन देशों में दिखाई देगा; ग्रहण के दौरान भूलकर भी ना करें यह काम

ज्योतिष | जब भी हमारे जीवन में कुछ भी गलत होता है तो सबसे पहले हमारी जुबान पर यही शब्द आता है कि हमारी खुशियों को ना जाने किसकी नजर लग गई है, जैसे कोई ग्रहण हमारे जीवन पर लग गया है. 20 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. इस साल के पहले सूर्य ग्रहण को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. पंडित सुरेश श्रीमाली का कहना है कि 20 अप्रैल 2023 वैशाख अमावस्या को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने वाला है. इसी वजह से वैज्ञानिकों की तरफ से इसे हाइब्रिड सूर्यग्रहण का नाम भी दिया गया है.

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बता दें कि ऐसा सूर्यग्रहण 100 सालों में एक बार ही लगता है. हाइब्रिड सूर्यग्रहण आंशिक, पूर्ण और कुंडलाकार सूर्य ग्रहण का ही मिश्रण होता है.

इन देशों में दिखाई देगा साल का पहला सूर्य ग्रहण

कल लगने वाले सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य मेष राशि में विराजमान होंगे और गुरु मेष राशि में आकर सूर्य के साथ युति करेंगे. साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को सुबह 8:07 से शुरू होगा जो सुबह 11:27 पर समाप्त होगा. वहीं, इस सूर्य ग्रहण से पहले ही सूर्य का राशि परिवर्तन होना है और सूर्य ग्रहण के दो दिन बाद देव गुरु बृहस्पति का भी गोचर होगा. बता दें कि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. इस वजह से इस ग्रहण का सूतक काल भी भारत में मान्य नहीं होगा.

यह सूर्यग्रहण अमेरिका, मलेशिया, जापान, सिंगापुर, थाईलैंड, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंडोनेशिया आदि देशों में दिखाई देगा. इस वजह से इन देशों में इस ग्रहण का सूतक काल भी मान्य होगा.

कब लागू होता है ग्रहण का सूतक काल

बता दें कि ग्रहण से 12 घंटे पहले ही सूतक का लग जाता है. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता. ग्रहण के दौरान मंत्रों का जप करने का विशेष महत्व है. महिलाओं को भी ग्रहण के दौरान काफी बातों का ध्यान रखना होता है. आंशिक सूर्यग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, सूर्य के किसी छोटे हिस्से के सामने आकर उसकी रोशनी को रोक लेता है उसे आंशिक सूर्यग्रहण कहा जाता है.

वहीं, कुंडलाकार सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य के बीच आकर रोशनी को रोकता है. उसके बाद, चारों तरफ एक चमकदार रोशनी का गोला बनता है जिसे रंग ऑफ फायर का नाम दिया जाता है.

कब होता है पूर्ण सूर्य ग्रहण

पूर्ण सूर्यग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा एक सीधी लाइन में होते हैं. इसी वजह से पृथ्वी के एक भाग पर पूरी तरह से अंधेरा छा जाता है, तब पूर्ण सूर्य ग्रहण की स्थिति बनती है. इसे खुली आंखों से देखने की मनाही होती है. हाइब्रिड सूर्यग्रहण आंशिक पूर्ण और कुंडलाकार सूर्य ग्रहण का मिश्रण होता है. यह सूर्य ग्रहण लगभग 100 सालों में एक बार ही देखने को मिलता है. इस सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा की धरती से दूरी ना तो ज्यादा होती है और ना ही कम होती है. इस दुर्लभ ग्रहण की वजह से कुछ सेकंड के लिए एक वलय आकृति बनती है जिसे अग्नि का वलय या रिंग ऑफ फायर कहा जाता है.

ग्रहण के दौरान भूलकर भी ना करें यह काम

  • ज्योतिषाचार्य के अनुसार, ग्रहण के दिन गर्भवती महिलाओं को सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय कैंची, ब्लेड या चाकू का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. शास्त्रों में ग्रहण के दौरान काटने की मनाही होती है.
  • सूर्य या चंद्र ग्रहण की वजह से पूजा- पाठ समेत कोई भी शुभ या धार्मिक कार्य नहीं किया जाता. इस दौरान शुभ कार्य करने की मनाही होती है.
  • सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय आपको भूल कर भी भोजन नहीं करना चाहिए. ग्रहण लगने से राहु केतु का नकारात्मक प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है. यदि आप ग्रहण के समय भोजन खाते हैं तो आपके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.
  • ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को फल, फूल, पत्ते,  लकड़ी नहीं तोड़ने चाहिए. ऐसा करने से ग्रहण दोष लगता है.

डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. Haryana E Khabar इनकी पुष्टि नहीं करता है.

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