‘लाडो पंचायत’ के जरिए बेटियों ने भरी हुंकार, 21 वर्ष हों शादी की उम्र, याणी उम्र में नहीं चाहतीं बाबुल के घर से विदाई

पंचकूला । लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 वर्ष करने की मांग जोर पकड़ रही है. हर वर्ष करीब 15 लाख बाल विवाह होने से चिंतित लड़कियों ने शादी की उम्र बढ़वाने के लिए आवाज उठाई है. मौका था ‘लाडो पंचायत’ का जिसमें हरियाणा, पंजाब, गुजरात, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की लड़कियों ने भागीदारी करते हुए कानून में संशोधन कर लड़कियों को हर तरह की आजादी देने की पुरजोर वकालत की है.

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वेबीनार के माध्यम से हुई लाडो पंचायत में लड़कियों ने दलील दी हैं कि शादी की उम्र 21 किए जाने पर सामाजिक बदलाव और लड़कियों की शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. देश की पहली लाडो पंचायत कराने का श्रेय गया , सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन के संयोजक सुनील जागलान को , जिन्होंने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ मुहिम भी शुरू की थी. बाद में यह मिशन प्रधानमंत्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बन गया था जो अब तक चल रहा है. बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ मुहिम की शुरुआत भी हरियाणा की पावन धरा से ही हुई थी.

उम्र बढ़ाने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी भी गंभीर

लाडो पंचायत में शामिल ज्यादातर लड़कियों ने कहा कि शादी की उम्र 21 वर्ष करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच सकारात्मक है. पिछले साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु सीमा पर पुनर्विचार करने के उद्देश्य से उन्होंने एक उच्चस्तरीय समिति भी गठित करने की घोषणा की थी लेकिन अभी तक समिति की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है.

18 वर्ष कम है उम्र

लाडो पंचायत में लड़कियों ने कहा कि 18 वर्ष की आयु में शादी हो जाने पर न तो पढ़ाई पूरी हो पाती है और न ही आत्मनिर्भर बना जा सकता है. माता-पिता घरेलू कामों के सीखने पर उन्हें आत्मनिर्भर मान लेते हैं लेकिन हकीकत यह है कि लाखों बच्चियों की इस कानून की आड़ में 18 वर्ष से पहले ही शादी कर दी जाती है. यहां से शुरू होता है ,उनका शारीरिक, मानसिक और सामाजिक शोषण. खेलने-कूदने, सीखने व पढ़ने की उम्र में फिर ऐसी बच्चियों को शारीरिक व मानसिक तकलीफें झेलनी पड़ती है.
18 वर्ष की उम्र तक तो कोई लड़की स्नातक की पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाती है. शादी के बाद पढ़-लिखकर आत्मनिर्भर बनकर पति पर निर्भर रहने के रास्ते भी नहीं खुलें होते हैं. लाडो पंचायत के जरिए प्रियंका वर्मा,रीना, पारुल,रेणु शर्मा, तमन्ना, अन्वी, संजना, कविता सहरावत,बाला और नीतु पंवार ने स्पष्ट तौर पर कहा कि लड़कियों की शादी की उम्र 21 वर्ष करने के उपर केन्द्र सरकार को विचार करना चाहिए.

महाराष्ट्र से जुड़ी कृष्णा वानखेड़े ने इस बारे में इस वेबीनार की पूरी प्रोसेसिंग प्रधानमंत्री कार्यालय में भेजने का सुझाव दिया. लाडो पंचायत के संयोजक सुनील जागलान ने एक अनुभव साझा करते हुए बताया कि गुरुग्राम के सोहना ब्लॉक में वह लड़कियों के एक स्कूल में गए थे. कोरोना काल से पहले उनकी वहां कक्षा आठ की 28 लड़कियों से मुलाकात हुई.
कुछ समय पश्चात जब लड़कियां घुल-मिल गई तो पता चला कि इनमें से 18 लड़कियों की शादी तय हो चुकी है. इस बारे में जब लड़कियों से बात की गई तो उन लड़कियों को शादी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. बस मेकअप, गाजा- बाजा और गहने- आभूषणों को ही वह शादी मानते हुए अपने सपनों का संसार बुन रही थी. लाडो पंचायत ऐसी मानसिकता के खिलाफ बड़ा प्रहार करने की तैयारी में है.

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