2046 से पहले जेल से बाहर नही आ सकेगा डेरा प्रमुख राम रहीम, समझे सजा के आंकड़ों का गणित

पंचकूला । रणजीत सिंह मर्डर केस में भी उम्रकैद की सजा का ऐलान होने के बाद डेरा प्रमुख राम रहीम का जीवन अब लंबे समय तक जेल की सलाखों के पीछे कटना निश्चित हों गया है. कानूनी नजरिए व जेल नियमों पर नजर डाली जाए तो प्रदेश सरकार से डेरा प्रमुख को रियायत मिल सकती है. लेकिन किसी भी प्रकार की सजा माफी की रियायत के बावजूद भी डेरा प्रमुख राम रहीम को कम से कम वर्ष 2046 तक तो जेल की हवा खानी ही पड़ेगी. तब रिहाई के समय तक बाबा राम रहीम अपनी जिंदगी के 81 साल पूरे कर चुके होंगे.

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अब तक मिल चुकी है 60 साल की सजा

पत्रकार रामचन्द्र छत्रपति मर्डर केस में पहले से ही 20 साल की सजा भुगत रहे डेरा प्रमुख राम रहीम को रणजीत सिंह मर्डर केस में भी 20 साल की सजा सुनाई गई है. इसके अलावा साध्वियों से यौन शोषण मामले में भी राम रहीम को 10-10 वर्ष की कैद सुनाई गई थी. इस तरह तीनों मामलों में डेरा प्रमुख को 60 साल कैद की सजा सुनाई जा चुकी है. इनमें से उम्रकैद की सजाएं एक साथ चलेगी यानि डेरा प्रमुख को इनके लिए 40 की बजाय 20 साल ही जेल में रहना पड़ेगा. लेकिन साध्वियों से यौन शोषण मामलों में एक सजा खत्म होने पर दूसरी सजा शुरू होगी यानी उसे 20 साल सलाखों के पीछे रहना होगा. उम्रकैद की सजाएं अभी चल रही सजाओं की अवधि खत्म होने पर शुरू होगी.

इतनी मिल सकती है सजाओं में छूट

उम्रकैद के मामले में अधिकतम 6 वर्ष की छूट
कानून के तहत प्रदेश सरकार कैदी के अच्छे आचरण की वजह से सजा में छूट प्रदान कर सकती हैं.
अन्य सजाओं के मामले में ज्यादा से ज्यादा कैद का 25 फीसदी समय कम किया जा सकता है.

छूट के आधार पर सजा का गणित

इस आधार पर आंकलन किया जाए तो डेरा प्रमुख को अच्छे चाल-चलन की वजह से प्रदेश सरकार की रियायत के बावजूद राम रहीम को फिलहाल चल रही साध्वी यौन शोषण की 10-10 साल की सजाओं में 2.5-2.5 साल यानी अधिकतम 5 साल की छूट मिलेगी.

इस हिसाब से 2017 में शुरू हुई ये सजाएं 2038 के बजाय 2032 में खत्म हो सकती हैं . इसके बाद उम्रकैद की सजा शुरू होगी, जिसमें 6 साल की छूट के बावजूद राम रहीम को 14 साल जेल की हवा अवश्य खानी पड़ेगी. इस हिसाब से डेरा प्रमुख राम रहीम की जेल से रिहाई 2032 से 14 वर्ष बाद यानि 2046 में ही संभव हो पाएगी.

इस तरह मिल सकती है राहत

डेरा प्रमुख राम रहीम की वर्ष 2046 से पहले जेल से रिहाई के दो ही रास्ते बनते हैं. इसमें पहला रास्ता हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सजा की अवधि कम करवा लेना है और दूसरा रास्ता सजा माफी के लिए राष्ट्रपति को अपील करना है. लेकिन डेरा प्रमुख के आरोपों की जघन्यता को देखते हुए इन दोनों रास्तों से राहत मिलने की संभावना बेहद ही कम है.

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