हरियाणा में BJP- JJP के बीच जंग शुरु, कहा- अब चौटाला नहीं लड़ेंगे चुनाव; डिप्टी CM ने दिए ऐसे जवाब

चंडीगढ़ | हरियाणा में पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता बीरेंद्र सिंह और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के बीच गठबंधन और उचाना सीट को लेकर जुबानी जंग शुरू हो गई है. ब्रीरेंद्र सिंह ने कहा दुष्यंत चौटाला उचाना से नहीं लड़ेंगे. इस पर पलटवार करते हुए दुष्यंत चौटाला ने कहा कि अगर वह बने रहते तो 2019 में ही गठबंधन टूट जाता. दरअसल, एक इंटरव्यू में बीरेंद्र सिंह ने कहा था कि 2019 में बीजेपी अल्पमत में थी. तब स्थिर सरकार के लिए पांच साल का गठबंधन था. अगले चुनाव में कोई गठबंधन नहीं होगा. भाजपा कार्यकर्ता से लेकर मुख्यमंत्री या संगठन अध्यक्ष यह गठबंधन नहीं चाहते हैं.

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हमें निकाल दो, या खुद निकल जाओ: बीरेंद्र

बीरेंद्र सिंह ने कहा कि ये बयान ऐसे हालात की ओर इशारा करते हैं जो या तो हमें निकाल दो या फिर खुद निकल जाएं. ताकि लोगों के पास जाने के लिए मसाला हो. वे चुनाव से पहले इस तरह के मसले को सुलझाना चाहते हैं, ताकि उनकी खोई हुई साख वापस मिल सके. चाहे वह किसान आंदोलन का मुद्दा हो, जिसमें उन्होंने बचकाने बयान दिए थे. बीरेंद्र सिंह ने कहा कि मैं आज लिखित में देता हूं, दुष्यंत चौटाला उचाना से चुनाव नहीं लड़ेंगे.

दुष्यंत चौटाला का पलटवार

बीरेंद्र सिंह के बयान पर डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने पलटवार किया. उन्होंने कहा कि बीरेंद्र सिंह का बस चलता तो गठबंधन 2019 में ही टूट जाता. वे इसे स्पष्ट करलें कि चुनाव लड़ेंगे या नहीं। उनकी उम्र 75 वर्ष से अधिक है, इसलिए उन्हें पहले यह देखना चाहिए कि वे भाजपा के 75 साल की यह पॉलिसी में फिट बैठता है या नहीं. क्या बीजेपी की नीति तोड़कर लड़ेंगे? लड़ोगे तो किस पार्टी से लड़ोगे?  मुझे लगता है कि प्रेमलता की उम्र भी 75 के आसपास है.

ठग कहने वालों ने लूटा

दीपेंद्र हुड्डा के ठग्गू बताने वाले बयान पर डिप्टी सीएम ने कहा कि राज्य में 75 हजार एकड़ जमीन ठगने वाले दूसरों को ठग कह रहे हैं. उन्हें अपना गिरेबान देखना चाहिए. वे इंडस्ट्री में लाठीचार्ज करवाते थे, नई इंडस्ट्री को आता देख खुश नहीं होते. मैं ऐसे लोगों को ज्यादा जवाब नहीं देना चाहता.

रामकरण का आ गया इस्तीफा

दुष्यंत ने कहा कि रामकरण काला का इस्तीफा उनके पास आया है. उनकी कोशिश है कि किसानों की समस्या का जल्द समाधान हो सके. बता दें कि शाहबाद के जेजेपी विधायक रामकरण काला ने हरियाणा सहकारी चीनी मिल के अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा लिखकर डिप्टी सीएम को भेज दिया था. किसानों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में विधायक ने इस्तीफा दे दिया. जबकि सीएम मनोहर लाल ने कहा था कि इस्तीफा उनके पास नहीं पहुंचा है और उन्हें इस्तीफा स्वीकार करने का अधिकार है.

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