हरियाणा के इस गांव में अनोखा मंदिर, जहां 22 सालों से हों रही है शहीदों की पूजा

यमुनानगर । हरियाणा व उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित यमुना नदी के किनारे व जिलें के आखिरी छोर पर एक गांव हैं गुमथला. बता दें कि इस गांव में एक ऐसा मंदिर है जहां शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए किसी खास मौके का इंतजार नहीं होता. इस मंदिर में हर दिन इंकलाब जिंदाबाद के नारे गुंजते है. साल 2000 में यहां शहीद भगतसिंह की प्रतिमा स्थापित कर छोटे से इंकलाब मंदिर की नींव रखी गई थी.

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मनाते हैं हर शहीद का जन्मदिवस व शहीदी दिवस

इंकलाब मंदिर के संरक्षक एडवोकेट वरयाम सिंह ने बताया कि इस तरह का इंकलाब मंदिर आपको पूरे देश में कहीं देखने को नहीं मिलेगा. देश की आजादी के लिए अपनी जान न्यौछावर कर चुके हर शहीद का जन्मदिवस व शहीदी दिवस यहां धूमधाम से मनाया जाता है. इन कार्यक्रमों में स्कूली बच्ची देशभक्ति गीत प्रस्तुत करते हैं. क्षेत्र से गणमान्य व्यक्ति भी बढ़-चढ़कर इन कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं.इंकलाब मंदिर की सहयोगी संस्था हरियाणा एंटी क्रप्शन सोसाइटी विशेष रूप से योगदान कर रही है.

आकर्षण का केंद्र है इंकलाब मंदिर

मंदिर प्रांगण में सुशोभित राष्ट्र सम्मान तिरंगा इंकलाब मंदिर की शोभा में चार चांद लगा रहा है. मंदिर प्रांगण में मौजूद पौधों को सफेद व केसरिया रंग से रंगा गया है. यह मंदिर गुमथला-करनाल मार्ग पर पड़ता है. यहां से गुजरने वाला हर कोई शख्स इस मंदिर की सुंदरता को निहारें बिना नहीं रहता है. यहां से गुजरने वाले लोग अपने वाहनों को साईड में खड़ा कर शहीदों को नतमस्तक होते हैं. हरियाणा ही नहीं अपितु दूसरे राज्यों से बड़ी संख्या में लोग इस मंदिर को देखने पहुंचते हैं.

इन शहीदों की प्रतिमाएं स्थापित

मंदिर के प्रांगण में शहीद भगतसिंह, शहीद राजगुरु, शहीद सुखदेव, शहीद उधम सिंह, लाला लाजपत राय, शहीद करतार सिंह शराभा, शहीद मंगल पांडे, शहीद चंद्र शेखर आजाद, नेता जी सुभाष चंद्र बोस, दुर्गा भाभी, भारत माता सहित सैकड़ों अमर शहीदों की प्रतिमाएं व हाथ से तैयार किए पोर्टेट यहां पर स्थापित हैं. साल 2014 में हरियाणा सरकार ने एक एकड़ भूमि भी मंदिर के लिए आवंटित की थी.

शहीदों को समर्पित किए ये कार्य

मंदिर के संरक्षक एडवोकेट वरयाम सिंह ने बताया कि इंकलाब मंदिर टीम के प्रयासों से 23 मार्च को हरियाणा शहीदी दिवस पर अवकाश घोषित करवाया गया. सभी पुलिस थानों में शहीद भगत सिंह की प्रतिमा अनिवार्य करवाई और शहीद भगत सिंह के नाम से सिक्के जारी करवाए. सभी सरकारी कार्यालयों में शहीद भगत सिंह, शहीद राजगुरु व शहीद सुखदेव सिंह के चित्र अनिवार्य किए जाने की भी घोषणा हो चुकी है.

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