अरावली की पहाड़ियों पर पेड़ काटकर बनाएं जा रहे हैं फॉर्म हाउस, प्रशासन खुद को बता रहा है बेबस

गुरुग्राम/ फरीदाबाद | सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैए के बाद फरीदाबाद की अरावली हिल्स के अवैध निर्माण पर तोड़फोड़ का खतरा मंडरा रहा है. लेकिन अरावली पर्वतमाला की हरियाली, खनिज पदार्थों, जंगली जीवन व अन्य प्राकृतिक संपदाओं का नुक़सान पहुंचाने में गुरुग्राम व मेवात जिले फरीदाबाद के मुकाबले कहीं आगे है. गुरुग्राम में जारी अवैध फार्म हाउसों के निर्माण ने न केवल अरावली का सीना छलनी करने का काम किया है बल्कि रईसजादे व माफिया पहाड़ी का महत्व हीं समाप्त करने पर आमादा है.

aravali ki pahadi

अवैध खनन की वजह से मेवात इलाके में भी यही हाल है. मानेसर,कासन, नौरंगपुर,राठीवास, रायसीना, सोहना,रिठौज, दमदमा समेत कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां 500 से ज्यादा फार्म हाउसों का अवैध रूप से निर्माण किया गया है. दरअसल 1980 में एक बिल्डर ने अंसल रिट्रीट के नाम से गांव रायसीना की 1200 एकड़ भूमि पर करीब 700 फॉर्महाउस विकसित करने का प्लान बनाया था. हालांकि इसी दौरान निर्माण कार्य बंद किए जाने का नोटिफिकेशन जारी हुआ लेकिन आदेशों की पालना नहीं की गई. निर्माण होते रहे और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट के सर्व में सामने आया कि 500 से ज्यादा फार्म हाउस का निर्माण किया जा चुका है.

कोरोना कॉल साबित हुआ वरदान

अरावली पर्वत श्रंखला में में अवैध रूप से निर्माण किए गए करीब 500 फार्म हाउसों को ढहाने की प्लानिंग जनवरी महीने में तैयार की गई थी. तत्कालीन डीसी ने दावा करते हुए कहा था कि अगले 2-3 महीनों में कार्यवाही की जायेगी. इस बैठक में डीसी के साथ टीसीपी डिपार्टमेंट, नगर निगम,वन विभाग,डीआरओ, मिनिस्ट्री ऑफ इनवायरमेंट एंड फोरेस्ट, पोल्यूशन डिपार्टमेंट और सोहना नगरपालिका के अधिकारी उपस्थित थे. लेकिन उसके बाद कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन अवधि अवैध निर्माण करने वालों के लिए वरदान साबित हुई.

ख़तरे में अरावली पहाड़ियों का अस्तित्व

पर्यावरण विशेषज्ञ कई बार कह चुके हैं कि दिल्ली एनसीआर के लिए अरावली एक बड़ी लाइफ लाइन है और इसे बचाएं रखने के लिए हरसंभव प्रयास जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी भी लगातार अरावली को बचाने के आदेश जारी करता रहा है. जिस हिसाब से दिल्ली एनसीआर में जनसंख्या वृद्धि हो रही है और धड़ल्ले से इमारतों का निर्माण किया जा रहा है, उस लिहाज से अरावली पर्वत श्रंखला का बचाव बेहद जरूरी है ताकि मानव जीवन बच सकें. अरावली पर्वत ही एकमात्र ऐसी श्रृंखला है जहां साफ हवा और पानी मिल सकता है.

प्रशासन खुद को बता रहा है बेबस

हाल ही में फरीदाबाद में अरावली क्षेत्र में बने सैकड़ों घरों को तोड़ने के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिये है लेकिन ऐसे में बड़ा सवाल प्रशासन पर यह खड़ा होता है कि जब मकान या फार्म हाउस का अवैध निर्माण हो रहा होता है तो प्रशासन मौन क्यों रहता है.

वहीं अरावली के अवैध खनन और फार्म हाउसों के निर्माण को लेकर सोहना नगर परिषद के अधिकारियों से बातचीत की गई तो उन्होंने कोविड का समय और ड्यूटी मजिस्ट्रेट उपलब्ध न होने का बहाना बनाकर खुद को बेबस दिखाने लगें. अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने तकरीबन 40 के करीब फार्म हाउसों को तोड़ने का नोटिस जारी किया हुआ है लेकिन बार-बार उपायुक्त से मांग करने के बावजूद भी उन्हें ड्यूटी मजिस्ट्रेट नहीं मिलते, इसलिए वो कोई तोड़फोड़ नहीं कर पा रहे हैं.

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