चौटाला गांव की सरपंची में बड़े उलटफेर के पीछे इस शख्स का हाथ, कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी की हुई थी जीत

सिरसा | हरियाणा की राजनीतिक नर्सरी के रुप में विख्यात सिरसा जिले का चौटाला गांव आजकल हर किसी की जुबान पर बना हुआ है. इसके पीछे की वजह भी बड़ी रोमांचक है. यहां दूसरे चरण में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव हुए थे और गांव चौटाला में जजपा, भाजपा और इनेलो सभी पार्टियों के सरपंच प्रत्याशी चुनाव हार गए जबकि कांग्रेस पार्टी के सरपंच प्रत्याशी को जीत हासिल हुई है. ऐसे में हर कोई यह जानने को उत्सुक हैं कि आखिर इतना बड़ा खेल कैसे हो गया.

Haryana Panchayat Election 2022

कांग्रेस प्रत्याशी की हुई थी जीत

बता दें कि जिस चौटाला गांव से उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल का संबंध है, सरकार में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला है. बिजली मंत्री रणजीत चौटाला, इनेलो नेता ओमप्रकाश चौटाला व अभय चौटाला जैसे बड़े राजनीतिक घराने है, वहां से ये अपने सरपंच प्रत्याशी को जीत नहीं दिला सके. इन सबके बीच एक अंजान चेहरा कांग्रेस पार्टी की ओर से सरपंच प्रत्याशी सुभाष बिश्नोई ने जीत हासिल की है लेकिन इस बड़े उलटफेर के पीछे एक चेहरा है, जिन्होंने मीडिया के सामने आकर बताया कि इतने बड़े राजनीतिक घरानों के समर्थित प्रत्याशियों की हार कैसे हुई है.

कौन है ये उलटफेर का खिलाड़ी

बता दें कि कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी सुभाष बिश्नोई को गांव चौटाला का सरपंच बनाने के पीछे जिस शख्स ने दिन रात एक कर दिया उसका नाम संजय सिहाग है और वो ओमप्रकाश हिटलर के बेटे हैं. उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि इन सभी बड़े नेताओं का जन्म गांव चौटाला की पावन धरा पर हुआ है लेकिन इन लोगों को गांव के सरोकार से कोई मतलब नहीं है. गांव में इतनी समस्याएं हैं कि गिनवा नहीं सकते. उन्होंने कहा कि गांव में पीने का पानी तक नहीं है और लोग आज भी ट्यूबवेल का पानी पीने को मजबूर हैं. गांव के जलघर दो दिन में खाली हो जाते हैं और फिर उनमें कुत्ते बैठे रहते हैं.

समस्याओं का अंबार

संजय सिहाग ने बताया कि गांव में कम से कम 100 जगहों पर नशा बिकता है. क्या इन नेताओ को पता नहीं है. गांव के युवा नशे की गर्त में जा रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई करने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि नवनिर्वाचित सरपंच को लेकर गांव के वरिष्ठ आदमियों की एक कमेटी बनाई जाएगी और नशा बेचने वालों के घर जाकर पहले उन्हें समझाया जाएगा कि अपने बच्चों को गैरकानूनी काम करने से रोकें. अगर वो नहीं मानते हैं तो फिर लठ्ठ से उनका इलाज किया जाएगा, इसके लिए बेशक कानून हाथ में लेना पड़े.

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