हरियाणा में शराब हुई सस्ती, कैबिनेट ने दी नई आबकारी नीति को मंजूरी

चंडीगढ़ । सीएम मनोहर लाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को हरियाणा कैबिनेट की बैठक हुई. बैठक में सरकार ने कई अहम फैसलों को मंजूरी दी. बैठक के दौरान साल 2022-23 की आबकारी नीति को मंजूरी प्रदान की गई है. नई आबकारी नीति 12 जून से शुरू होकर 11 जून 2023 तक लागू रहेगी. नई आबकारी नीति के बाद हरियाणा में शराब सस्ती हो जाएगी.

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राज्य सरकार ने शराब पर आयात शुल्क को सात रुपए से घटाकर दो रुपए प्रति बोतल कर दिया है. आयातित विदेशी शराब पर वैट 10 प्रतिशत से घटाकर तीन प्रतिशत और देशी शराब, वाइन, बीयर और आइएमएफएल पर 13 व 14 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत किया गया है. वहीं नई आबकारी नीति में बार लाइसेंस के शुल्क में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. इसके अलावा हरियाणा में शराब की फैक्ट्री स्थापित करने के लिए पहले जो लाइसेंस फीस 15 लाख रुपए लगती थी, उसे घटाकर मात्र एक लाख रुपए कर दिया गया है.

बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए सीएम मनोहर लाल ने बताया कि शराब कारखानों को त्रैमासिक आधार के बजाय अब वार्षिक आधार पर अतिरिक्त पारियों में संचालन की अनुमति प्रदान की जाएगी. इससे इंस्पेक्टरी राज पर रोक लगेगी. लाइसेंसों का नवीनीकरण करने की शक्तियां डीइटीसी को सौंपी गई हैं.

सीएम ने बताया कि 2022-23 में खुदरा क्षेत्र (अधिकतम चार खुदरा दुकानों) की ई-निविदा के माध्यम से शराब के ठेकों की नीलामी की जाएगी. वह ब्रांड या लेबल, जिनमें पिछले वर्ष की तुलना में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, उनको अनुमोदित करने की शक्तियां डीइटीसी को सौंपी गई हैं. शराब की अंतर्राज्यीय आवाजाही के बेहतर नियंत्रण के लिए ट्रांजिट स्लिप शुरू की जाएगी.

वहीं हरियाणा सरकार ने आबकारी एवं कराधान मंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि सीएल और आइएमएफएल का मूल कोटा 1100 लाख प्रूफ लीटर और 650 लाख प्रूफ लीटर होगा, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग चार प्रतिशत अधिक है.

उन्होंने बताया कि मोरनी को उन स्थानों की सूची में रखा गया है, जहां पर्यटन और साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए बार लाइसेंस दिए जा सकेंगे. राज्य में कही पर भी स्थित बार और क्लब अब बार लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं. बार और खुदरा विक्रेता अब अतिरिक्त शुल्क का भुगतान कर लंबे समय तक अपना संचालन कर सकेंगे.

प्रमुख बिंदु

• डिस्टिलरीज को आवंटित देशी शराब का कोई निर्धारित कोटा नहीं होगा, इसलिए लाइसेंसधारकों को किसी भी डिस्टिलरी के ब्रांड चुनने की पूरी आजादी होगी.

• शराब की तस्करी पर रोक लगाने के लिए व्हिस्की और वाइन के आबकारी शुल्क को 225 रुपये प्रति पीएल/बीएल से घटाकर 75 रुपये प्रति पीएल/बीएल किया गया है.

• सभी शराब के कारखाने हाई सिक्योरिटी सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में रहेंगे. सभी डिस्टिलरी और बाटलिंग प्लांट में फ्लो मीटर लगेंगे.

• सभी शराब ठेकों और बार में प्वाइंट आफ सेल (पीओएस) मशीनें लगेंगी, ताकि उनके बिल दिए जा सकें. उच्च सुरक्षा वाले होलोग्राम के साथ ट्रक व ट्रैक सिस्टम क्रियान्वित रहेगा.

• शहरी क्षेत्रों में सरकारी एजेंसियों की भूमि का किराया 500 मीटर से कम आकार के मामले में कलेक्टर दर का 6 प्रतिशत वार्षिक होगा.

• देशी शराब (सीएल) और आइएमएफएल के थोक लाइसेंसों के लाइसेंस शुल्क में मामूली वृद्धि होगी. मेट्रो शराब, जिसमें मामूली वृद्धि हुई है, उसे छोडक़र, देशी शराब और आइएमएफएस के अधिकतर ब्रांड के न्यूनतम खुदरा बिक्री मूल्य में कोई बदलाव नहीं होगा.

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