हरियाणा में अब छापेमारी से पहले नहीं होगी जानकारी लीक, सरकार ने निकाला ये तरीका

चंडीगढ़ | हरियाणा में छापेमारी से पहले सूचना लीक होने के कारण हर महीने दो या तीन छापे विफल होते थे मगर अब हरियाणा सरकार ने ऐसे मामलों में हर जिलों में विजिलेंस को पांच राजपत्रित अधिकारियों का एक पैनल प्रदान करके इसे रोकने का फैसला किया है. विजिलेंस छापेमारी के लिए स्वतंत्र गवाह नियुक्त करने के उद्देश्य से प्रत्येक डीसी अलग-अलग विभागों से 5 उपयुक्त राजपत्रित अधिकारियों का एक पैनल बनाएगा. जिसमें से एसपी विजिलेंस छापे के लिए स्वतंत्र गवाह के रूप में किसी को भी चुन सकता है.

Sanjeev Kaushal

ट्वीट पर सचिव ने कहा कि डीसी द्वारा हर तीन महीने में पैनल को संशोधित किया जाएगा और सूची केवल महानिदेशक, सतर्कता के साथ साझा की जानी चाहिए. पैनल के लिए चुने गए अधिकारियों को त्रुटिहीन सत्यवान के साथ अच्छी प्रतिष्ठा वाला होना चाहिए. कोई भी दो व्यक्ति एक ही विभाग, बोर्ड, निगम से नहीं होने चाहिए.

लोक सेवक की ओर से ट्रैप या तलाशी जैसी अन्य आपराधिक कार्रवाई में सहायता करने या देखने से इनकार करना कर्तव्य का उल्लंघन माना जाएगा और इसे सरकार द्वारा बहुत गंभीरता से देखा जाएगा. एसपी, विजिलेंस को अपनी आवश्यकता उपायुक्त के माध्यम से भेजने के बजाय सीधे राजपत्रित अधिकारी से संपर्क करने की अनुमति देगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि छापे की जानकारी आयोजित होने से पहले लीक नहीं हुई है.

क्यों लिया गया फैसला

जानकारी के मुताबिक, पहले विजिलेंस ब्यूरो को छापेमारी के लिए राजपत्रित अधिकारी नियुक्त करने के लिए उपायुक्त से संपर्क करना पड़ता था. ऐसा करने में कई मुद्दों का सामना करना पड़ता था. कई बार डीसी बैठकें करने में व्यस्त रहते थे जिससे छापेमारी में देरी होती थी. अन्य अवसरों पर अपने अधीनस्थ अधिकारियों को एक राजपत्रित अधिकारी को गवाह के रूप में नियुक्त करने के लिए कहा जिससे ऑपरेशन की गोपनीयता प्रभावित हुई. हालांकि, प्रत्येक जिले को सतर्कता ब्यूरो को पांच अधिकारियों का एक पैनल सौंपने के निर्देश के बाद, एसपी स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ सकते हैं.

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