स्पेशल स्टोरी: हरियाणा में क्या है ई-टेंडरिंग विवाद, यहां पढ़ें सरपंच क्यों है इसके खिलाफ

चंडीगढ़ | मौजूदा समय में हरियाणा के सभी गाँवों के सरपंच एकजुट हो चुके हैं. कारण यह है कि वह ई टेंडरिंग का विरोध कर रहे हैं. अब हरियाणा में बड़े स्तर पर आंदोलन का बिगुल बज चुका है. बुधवार को भी हरियाणा के कई जिलों में सरपंचों ने इकट्ठे होकर विरोध प्रदर्शन किया था. इस दौरान बीडीपीओ कार्यालय में ताले भी लगाया गया. इससे पहले भी सरपंच कई दिनों से ई टेंडरिंग प्रक्रिया का विरोध कर रहे है. आइए जानते हैं क्या है ई टेंडरिंग विवाद आखिर सरपंच क्यों इसके खिलाफ विरोध कर रहे हैं.

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ई-टेंडरिंग क्या है?

पंचायतों में होने वाले कार्यों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार ने ई-टेंडर प्रक्रिया बनाई है. इसके तहत दो लाख रुपये से अधिक के कार्यों के लिए ई-टेंडरिंग जारी की जाएगी. फिर अधिकारी ठेकेदार के माध्यम से गांव का विकास कार्य कराएंगे. इसमें सरपंच विकास कार्यों की जानकारी शासन को देंगे. जिसके बाद सरकार ठेकेदार से ई-टेंडरिंग के जरिए विकास कार्य करवाएगी. सरकार का दावा है कि इस प्रक्रिया से भ्रष्टाचार के मामले कम होंगे.

सरपंच इस वजह से कर रहे हैं विरोध

हरियाणा के सरपंचों का कहना है कि सरकार द्वारा लागू की गई ई-टेंडर व्यवस्था पंचायतों के कामकाज में बाधक साबित होगी. सरपंच पहले अपने स्तर पर गांव के लिए 20 लाख रुपये तक के विकास कार्य करा सकता था लेकिन इस व्यवस्था के आने के बाद प्रत्येक ग्राम पंचायत एक लाख रुपये तक के विकास कार्य करा सकेगी. इस व्यवस्था के लागू होने से गांव में पंचायतों का काम प्रभावित होगा.

सरपंचो का मानना है कि ई-टेंडर सिस्टम में विकास कार्य में काफी समय लग जाता है जैसे टेंडर प्रक्रिया में ही एक साल बीत जाता है ऐसे में टेंडर निकालने में इतना समय लगेगा तो काम कैसे पूरा होगा. इसलिए वह टेंडर सिस्टम को गांव में लागू नहीं होना देना चाहते. पंचायत अपने हिसाब से विकास कार्य करवाती है लेकिन टेंडर प्रक्रिया लागू होने से गांव में विवाद बढ़ेंगे. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि ठेकेदार द्वारा किए गए विकास कार्य और सरपंच द्वारा किए गए विकास कार्यों में दिन-रात का अंतर होता है.

हरियाणा में पहले भी बीजेपी लाई थी ई-टेंडरिंग योजना

फतेहाबाद जिले के समैन गांव के सरपंच रणबीर सिंह गिल ने कहा बीजेपी सरकार के पिछले कार्यकाल में भी इसी तरह की ई-टेंडरिंग प्रणाली शुरू की गई थी लेकिन सरपंचों के विरोध के बाद इसे वापस ले लिया गया था.

पंचायतों का ये है आरोप

सरपंचों का आरोप है कि समय के साथ हरियाणा पंचायती राज कानून 1994 में कई संशोधन करके उनके अधिकार कम कर दिए गए हैं. व्यवस्था में सरपंच को खेती के शुल्क के लिए अनुबंध पर दी गई पंचायत भूमि के बदले में वसूले गए धन का गांवों के विकास के लिए उपयोग करने के लिए भी अधिकृत नहीं किया जाता है. ग्राम सरपंचों के रूप में हम पंचायती राज अधिनियम, 1994 के अनुसार विकास कार्यों को निष्पादित करने में पूर्ण स्वायत्तता चाहते हैं.

फतेहाबाद जिले के समैन गांव के सरपंच रणबीर सिंह गिल ने कहा कि ई-टेंडरिंग की आड़ में गांवों में कारपोरेट की एंट्री कराने की कोशिश की जा रही है. टोहाना हरियाणा के विकास एवं पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली का विधानसभा क्षेत्र है. प्रदर्शनकारियों ने 23 जनवरी को टोहाना में होने वाले बबली के एक कार्यक्रम का विरोध करने की योजना बनाई है.

देवेंद्र बबली का बयान

फिलहाल इस पूरे मामले में देवेंद्र बबली ने साफ कर दिया है कि ई टेंडरिंग वापस नहीं होगी. उन्होंने कहा कि ई टेंडरिंग पारदर्शिता लाने के लिए लाई गई है. जिन सरपंचों ने जेब भरनी है वह इसका विरोध कर रहे हैं.

सीएम खट्टर का बयान

ई-टेंडरिंग को लेकर सरपंचों के विरोध पर सीएम मनोहर लाल कहना है कि सरकार ने पंचायतों के अधिकार घटाए नहीं बल्कि बढ़ाए हैं. पंच-सरपंचों को सुशासन का पालन करना होगा. इसके लिए सरकार हरियाणा ग्रामीण विकास संस्थान नीलोखेड़ी में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रही है. ई-टेंडर हरियाणा इंजीनियरिंग वर्क्स पोर्टल के माध्यम से ही किया जाएगा. राज्य सरकार ने सरपंच, पंचायत समिति और जिला परिषद अध्यक्ष को यह अधिकार दिया है कि वे अपने स्वयं के कोष और अनुदान सहायता से चाहे कितनी भी बड़ी या छोटी राशि का काम करा लें.

मुख्यमंत्री ने कहा कि आईटी के युग में हर व्यवस्था ऑनलाइन हो रही है. कुछ नेता पंचायतों के ई-टेंडर के नाम पर राजनीति कर रहे हैं जो ठीक नहीं है. हरियाणा में अब पढ़ी-लिखी पंचायतें हैं जो अफसरों से काम कराने में सक्षम हैं वे ऐसे नेताओं की राजनीति को अपने ऊपर हावी नहीं होने देंगी. आज की पंचायत आईटी का इस्तेमाल करना बखूबी जानती है.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में गांवों में विकास कार्यों के लिए पंचायती राज संस्थाओं को 1100 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया है जिसमें से 850 करोड़ रुपये सिर्फ पंचायतों को दिए गए हैं. नई पंचायतों द्वारा किए जा रहे विकास की पहली झलक इसी अवधि में देखने को मिलेगी.

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