हरियाणा की रहने वाली देश की सबसे अमीर महिला ने छोड़ी कांग्रेस पार्टी, आज CM की उपस्थिति में थामा बीजेपी का दामन

हिसार | देशभर में सियासी वजूद बचाने की जद्दोजहद कर रही कांग्रेस पार्टी को हरियाणा में झटके पर झटके लग रहें हैं. देश की सबसे अमीर महिला और हरियाणा की हिसार विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक रही सावित्री जिंदल ने भी अब कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया है. आज मुख्यमंत्री नायब सैनी की उपस्थिति में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम लिया है. सीएम नायब सैनी ने उनके चरण स्पर्श कर पार्टी का पटका पहनाकर उनका स्वागत किया.

Savitri Jindal Hisar

हिसार मेरा परिवार

सावित्री जिंदल ने X पर पोस्ट डालकर लिखा है कि मैंने विधायक के रूप में 10 साल हिसार की जनता का प्रतिनिधित्व किया और मंत्री के रूप में हरियाणा प्रदेश की निस्वार्थ सेवा की है. हिसार की जनता ही मेरा परिवार है और मैं अपने परिवार की सलाह पर आज कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रही हूं. कांग्रेस नेतृत्व के समर्थन के लिए वह सभी साथियों का, जिन्होंने हमेशा मुझे अपना सहयोग और मान- सम्मान दिया, उनकी सदैव आभारी रहूँगी.

होली पर बेटे ने कहा था अलविदा

बता दें कि कुरूक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से लगातार दो बार कांग्रेस सांसद रहे सावित्री जिंदल के बेटे नवीन जिंदल ने भी पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में अपनी आस्था व्यक्त की. इसके बाद, बीजेपी ने उन्हें कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट पर उम्मीदवार घोषित किया है. सावित्री जिंदल ने बताया कि बेटे नवीन का बीजेपी ज्वाइन करने का फैसला पूरे परिवार ने मिलकर लिया था. कांग्रेस पार्टी से भी चुनाव लड़ने का ऑफर मिला था लेकिन उस वक्त चुनाव लड़ने का मन नहीं था. अब वह बीजेपी में शामिल होकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के सपने को पूरा करने में हरसंभव मदद करेगी.

ओमप्रकाश ने जिंदल ग्रुप की स्थापना की

बता दें कि हिसार शहर की रहने वाली सावित्री जिंदल के पति ओमप्रकाश जिंदल ने जिंदल ग्रुप की स्थापना की थी. देश- दुनिया में इस ग्रुप का बड़ा कारोबार है और इसकी पूरी कमान ओमप्रकाश जिंदल के हाथों में थी लेकिन 2005 में हेलिकॉप्टर क्रैश में उनकी मौत हो गई थी. उसके बाद से जिंदल ग्रुप की कमान सावित्री जिंदल संभाल रही हैं.

ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के अनुसार, जिंदल ग्रुप की अध्यक्ष सावित्री जिंदल की कुल संपत्ति 25 अरब डॉलर तक पहुंच गई है. वो साल 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा की सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुकी है. साल 2014 की मोदी लहर में दोनों मां- बेटा चुनाव हार गए थे. उसके बाद, राजनीति से दूर ही चल रहे थे.

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