Kisan Aandolan: हरियाणा के किसानों ने PM मोदी को भेंट किया 5 किलो बूंदी का लड्डू

जींद | नई कृषि नीतियों यानी New Agriculture Law 2020 के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन अभी भी यूं ही बरकरार है. केंद्र सरकार और किसानों दोनों के बीच पहले दौर की वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकला था किन्तु, अब दूसरे दौर की चर्चा करने के लिए किसान और सरकार दोनों ही पक्ष तैयार है. ऐसे में किसान अपनी शर्तें पर अडिग हैं और सरकार द्वारा लागू किए गए नए कृषि कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. इस बीच पिछली बैठक में सरकार द्वारा कुछ बातों को लेकर गौर किया गया था और उन्हें मानने के लिए भी राजी थी. लेकिन, इन सबके बीच केंद्र सरकार को पूर्ण रूप से मनाने व संतुष्ट करने के लिए हरियाणा (Haryana) के जींद मे किसानों ने एक अनोखा व दिलचस्प तरीका ढूंढ निकाला है.

Kisan Andolan Farmer Protest

हरियाणा में जींद के किसानों ने पीएम नरेंद्र मोदी के लिए 5 किलो बूंदी का एक लड्डू बनाया है. किसानों और सरकार के बीच बढ़ रही इस कड़वाहट को कम करने के लिए बड़ा यह बड़ा लड्डू पी एम मोदी को भेजा जा रहा है. आज के दिन यानी शनिवार को सरकार के साथ किसानों की बातचीत होनी है और यही वजह है कि वार्ता सफल हो और उसमें मिठास घोलने के लिए किसानों ने यह लड्डू बनाया गया है.

दिल्ली बॉर्डर पर भेजे जा रहे लड्डू

किसानों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM NARENDRA MODI) तीन कृषि कानूनों के मामले में थोड़ी मिठास लेकर सोचे और इनको जल्द से जल्द रद्द करें, केवल यही मुख्य उद्देश्य है और इसलिए ही यह लड्डू बनाया गया है. गौरतलब है कि इस गांव के लोग 50 क्विंटल लड्डू दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलित किसानों के लिए भेज चुके हैं और इनका ये सिलसिला जारी है. किसानों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी फसलों पर MSP को कानून बनाएं और थोड़ी कड़वाहट कम करके हमारे द्वारा रखीं गई मांगों के बारे सोचें ,इसलिए हम लड्डू पी एम को भेज रहे हैं.

बॉर्डर पर अब तक 4 किसान शहीद हुए

एक ओर, किसान आंदोलन में शामिल किसान गुरजंट सिंह जी की बुधवार के दिन को मौत (Death) हो गई है. बताया जा रहा है कि उनकी उम्र 60 वर्ष की थी. बहादुरगढ़ बॉर्डर उनकी मौत हुई है. पिछले सात दिनों में लगभग चार किसानों की मौत हो चुकी है. इस विषय में भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के राज्य उपाध्यक्ष जोगिंदर सिंह जी दयालपुरा और मानसा के अध्यक्ष राम सिंह भैणीवाघा जी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि गुरजंट सिंह जी गांव बछोआना के रहने वाले थे. बीते दिनों वह कृषि कानूनों का विरोध करते हुए ही इस किसान आंदोलन में शामिल हुए और खनौरी बॉर्डर से होते हुए ही दिल्ली तक पहुंचे थे.

किसानों ने रखी मांग- शहीद किसानों के परिवारों को दी जाए सरकारी नौकरी व मुआवजा

दरअसल ,26 नवंबर को अचानक से उनकी तबीयत ख़राब हो गई थी. इसके बाद गंभीर हालत में ही उन्हें बहादुरगढ़ लाया गया और फ़िर इसके पश्चात् उन्हें हिसार और फिर टोहाना इलाज के लिए रेफर कर दिया गया था. परन्तु रास्ते में ही गंभीर हालात के कारण उनकी मौत हो गई. गांव बछोआना में गुरुवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा. उन्होंने वार्ता के दौरान कहा कि आंदोलन में भाईयो को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है किन्तु मोदी सरकार को इसकी कोई फिक्र नहीं है और न ही इससे उन्हें कोई फ़र्क पड़ रहा है. अब किसानों द्वारा यह भी मांग की जा रही है कि “आंदोलन में शहीद होने वाले किसानो के परिवारों को मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए”.

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