हल्दी की खेती कर मोटी उपज ले रही बाला, 800 रूपए किलो बेच रही हल्दी; यहाँ पढ़े बाला देवी की कहानी

करनाल | अंग्रेजी में एक कहावत है “Experience is a Great Teacher” यानी “अनुभव एक महान शिक्षक है” और यह अनुभव व्यक्ति को उसकी मंजिल तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अपने इस अनुभव से हरियाणा में करनाल जिले के हसनपुर गांव की बाला देवी न केवल हल्दी की खेती कर अच्छी आय अर्जित कर रही है, बल्कि लोगों को अच्छी गुणवत्ता वाली हल्दी भी उपलब्ध करा रही हैं.

Karnal Bala Devi Haldi

25 साल से हल्दी की खेती कर रही बाला देवी

हसनपुर गांव निवासी बाला देवी का जन्म करनाल के बल्ला गांव में हुआ था. वह एक किसान परिवार से ताल्लुक रखती थीं, इसलिए उन्हें खेती में काफी दिलचस्पी थी. बाला के पिता भी हल्दी की खेती करते थे. उसके बाद, बाला देवी गांव हसनपुर में 25 साल से हल्दी की खेती कर रही हैं. उनकी गांव के पास ही दो एकड़ जमीन है, वह इन दिनों हल्दी की खेती के लिए एक कनाल जमीन का इस्तेमाल कर रही हैं.

प्रेरणा लेकर कदम आगे बढ़ाया

सामाजिक संगठन हरियाणा विज्ञान मंच गांव में किसान पाठशाला लगाता रहती है. संस्था की प्रदेश कमेटी के सदस्य एवं पूर्व कृषि पदाधिकारी डॉ. राजेंद्र सिंह ने बाला देवी के खेत से हल्दी की गुणवत्ता की जांच की तो शुद्ध हल्दी निकली. डॉ. से प्रेरणा ली और अधिक क्षेत्र में निवेश कर खुद को बेचने के लिए प्रोत्साहित किया.

एक कनाल में 8 से 10 क्विंटल कच्ची हल्दी पैदा करती हैं बाला

बाला देवी आगे बढ़ना चाहती थी, पहले वह अपने घर के लिए ही हल्दी लगा रही थी फिर उसने एक नहर में हल्दी लगाई. उन्होंने हल्दी पाउडर बनाने की मशीन भी खरीदी. बाला देवी बताती हैं कि एक कनाल में वह 8 से 10 क्विंटल कच्ची हल्दी पैदा कर लेती हैं. इससे करीब 100 किलो खाने योग्य हल्दी प्राप्त होती है. जिसे वह मशीन में प्रोसेस कर पाउडर तैयार करती हैं और हल्दी की गुणवत्ता अच्छी होने के कारण उनकी हल्दी गांव में ही बिक जाती है.

2 से 3 महीने करनी पड़ती है लगातार मेहनत

बाला देवी का कहना है कि एक साल की मेहनत के बाद हल्दी तैयार हुई है. इसकी अप्रैल के महीने में बुआई की जाती है और दिसंबर और जनवरी में खुदाई की जाती है. इसे पाउडर बनाने में 2 से 3 महीने लगातार मेहनत लगती है. जिसकी वजह से लगातार मेहनत करनी पड़ती है.

रेट 800 रुपए प्रति किलो रखा गया

बाला ने मेहनत को देखते हुए हल्दी का रेट 800 रुपए प्रति किलो रखा है. इसमें वह सारा खर्चा निकालकर 150 से 200 रुपए प्रति किलो कमा लेती हैं लेकिन गांव की महिलाएं इसे 800 रुपए किलो में खरीदने को तैयार नहीं होतीं. जिससे उसे बिक्री में समस्या का सामना करना पड़ रहा है. उनका मानना है कि हल्दी पाउडर बेचने में कम से कम 200 रुपए प्रति किलो की बचत होनी चाहिए. तभी लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली हल्दी की आपूर्ति की जा सकेगी. महिला ने हरियाणा सरकार से भी गुहार लगाई है कि हल्दी के बीज पर सब्सिडी दी जाए.

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