बच्चों के पेट में कीड़ों के अलावा इन बीमारियों में रामबाण है बथुआ, अपने भोजन में इस तरह करें शामिल

नई दिल्ली | सर्दियों के मौसम में अगर आप बथुआ सिर्फ सब्जी के तौर पर खाते हैं, तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बथुआ सिर्फ हरा साग नहीं बल्कि आर्युवेदिक औषधि है. जिसके ढेरों फायदे हैं. इन आर्युवेदिक गुणों को जानकर आप बथुआ को न सिर्फ अपनी डाइट में बल्कि अपने बच्‍चों के रोजाना के भोजन में शामिल कर लेंगे और बिना दवा खाए कई गंभीर बीमारियों से निजात पा सकेंगे.

Bathua Saag

आयरन और फाइबर का अच्छा स्रोत

ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद (AIIA) नई दिल्‍ली के द्रव्‍यगुण विभाग के अनुसार बथुआ बच्‍चों की कई ऐसी बीमारियों को प्राकृतिक रूप से ठीक कर देता है, जिसके लिए बच्‍चों को दवा खानी ही पड़ती है. बथुआ काफी हल्का होता है. इसमें शारीरिक और मानसिक शक्ति बढ़ाने की ताकत होती है.

विभाग के अनुसार, बथुआ हरी सब्जियों वाले सभी गुणों का भंडार है. इसमें कई ऐसे माइक्रो न्‍यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं जो मन और तन दोनों को फायदा पहुंचाते हैं. यह आयरन का अच्‍छा सोर्स है. इसमें फायबर भी होता और इसलिए यह पाचन में बेहद अच्छा तो होता ही है तथा साथ ही पाचनशक्ति को भी बढ़ाता है.

ऐसे करें खाने में शामिल

  • बथुआ का हरा साग बना सकते हैं.
  • बथुआ की बेसन वाली कढ़ी बना सकते हैं.
  • बथुआ को कच्‍चा काटकर, आटे में गूंथकर रोटियां बना सकते हैं और बथुआ का रायता बना सकते हैं.
  • बथुआ को आलू के साथ मिलाकर या खाली आटे में स्‍टफिंग करके परांठा या रोटी बनाकर बच्‍चों को खिला सकते हैं.
  • बथुआ का जूस बनाकर पी सकते हैं.

इन बीमारियों में रामबाण

AIIA दिल्‍ली के द्रव्‍यगुण विभाग में असिस्‍टेंट प्रोफेसर डॉ. शिवानी घिल्डियाल ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार बथुआ अर्श यानि बवासीर की परेशानी में राहत देता है. जिन्‍हें भूख कम लगती है, उन्‍हें सर्दी में बथुआ जरूर खाना चाहिए. यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है. रक्त पित्त यानि अगर किसी के शरीर के किसी भाग से खून गिरता है जैसे नाक से अचानक खून बहना, आदि उसकी फ्रीक्‍वेंसी को भी कम करने में सहायक है. विवांध यानि शौच या मल ठीक से न पास होने की स्थिति में बथुआ खाना बेहद ही लाभकारी साबित होता है.

पेट में कीड़े हैं तो बच्चों को अवश्य खिलाएं बथुआ

डॉ. शिवानी ने बताया कि बथुआ प्राकृतिक कृमि नाशक होता है. यदि किसी बच्चे के पेट में कीड़े हैं तो उसके लिए एकदम उपयुक्त प्राकृतिक औषधि है. उन्होंने बताया कि बथुए का स्वाद कसैला होता है, ऐसे में जब इसे भोजन में खाया जाता है तो यह पेट के अंदर के कीड़ों के लिए जटिल वातावरण पैदा कर देता है. एक ऐसा माहौल जिसमें कीड़ों को सर्वाइव करने में मुश्किल आती है.

उन्होंने बताया कि जब बच्चों को पेट में कीड़े होने की समस्या होती है तो उसे भूख लगनी बंद हो जाती है और उसका शारीरिक विकास प्रभावित होने लगता है. इसलिए सर्दी के मौसम में मिलने वाले बथुए को न सिर्फ बच्चों के लिए बल्कि बड़ों को भी अपने भोजन में शामिल करना चाहिए.

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