CBSE का प्रस्ताव: 10वीं कक्षा में 5 नहीं बल्कि होंगे 10 पेपर, 12वीं में भी 5 नहीं 6 विषयों में होना होगा पास

नई दिल्ली | केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की तरफ से सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी लेवल पर शैक्षणिक ढांचे में बड़े चेंज करने की तैयारी की जा रही है. कहा जा रहा है कि सीबीएसई बोर्ड के प्रस्ताव के अनुसार, 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों को पांच की अपेक्षा 10 विषयों के पेपर देने होंगे. उन्हें अकादमिक सत्र के दौरान दो के स्थान पर तीन भाषाएं पढ़नी होंगी. इनमें दो भारतीय भाषाएं अनिवार्य रहेंगी, जबकि 7 अन्य विषय होंगे. इसी प्रकार, कक्षा 12वीं में विद्यार्थियों को एक की अपेक्षा दो भाषाएं पढ़नी होंगी जिसमें एक भारतीय भाषा अनिवार्य रूप से होगी.

CBSE

3 भाषाओं के अलावा होंगे यह 7 विषय

प्रस्ताव के अनुसार, उन्हें 6 विषयों में उत्तीर्ण होना होगा. वर्तमान में कक्षा 10वीं और 12वीं में पांच- पांच विषयों में पास होना जरूरी है. कक्षा 10वीं में तीन भाषाओं के अलावा जिन सात विषयों का प्रस्ताव है, उनमें मैथमेटिक्स एंड कंप्यूटेशन थिंकिंग, सोशल साइंस, साइंस, आर्ट एजुकेशन, फिजिकल एजुकेशन एंड वेल बींग, वोकेश्नल एजुकेशन और एनवायरनमेंटल एजुकेशन शामिल है.

तीन भाषाओं, मैथमेटिक्स एंड कंप्यूटेशन थिंकिंग, सोशल साइंस, साइंस, एनवायरनमेंटल एजुकेशन का मूल्यांकन बाहरी परीक्षा के तौर पर होगा जबकि आर्ट एजुकेशन, फिजिकल एजुकेशन व वोकेश्नल एजुकेशन का मूल्याकंन बाहरी और आंतरिक दोनों तरीकों से किया जाएगा.

सभी 10 सदस्यों में होना होगा पास

छात्रों को अगली कक्षा में जाने के लिए सभी 10 विषयों में पास होना होगा. प्रस्ताव के अनुसार, कक्षा 11 और 12 में मौजूदा 5 विषयों (एक भाषा और चार अन्य विषय) की अपेक्षा छात्रों को छह विषयों (दो भाषाएं और 5वें वैकल्पिक विषय के साथ चार विषय) को पढ़ना होगा. रिपोर्ट के अनुसार, ये प्रस्तावित बदलाव नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क को स्कूली शिक्षा में लागू करने की CBSE की व्यापक पहल का भाग है. क्रेडिटाइजेशन का उद्देश्य व्यावसायिक और सामान्य शिक्षा के बीच अकादमिक समानता लाना है, जिससे दोनों शिक्षा प्रणालियों के बीच गतिशीलता की सुविधा मिल पाये.

1 साल में छात्र के पास होंगे 1200 घंटे

जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा प्रस्तावित है. फिलहाल स्कूल करिकुलम में क्रेडिट सिस्टम नहीं है. सीबीएसई के प्लान के अनुसार, एक शैक्षणिक वर्ष में पढ़ाई के 1200 अनुमानित घंटे (नोशनल लर्निंग आवर्स) होंगे जिसके 40 क्रेडिट मिलेंगे.

शिक्षण घंटों के अनुसार स्टूडेंट्स कमाएंगे क्रेडिट

इन 1200 घंटों में स्कूल की एकेडमिक शिक्षा और स्कूल के बाहर की नॉन एकेडमिक शिक्षा या एक्सपेरिमेंटल शिक्षा दोनों सम्मिलित होंगे. इस प्लान को जमीनी तौर पर लागू करने के लिए बोर्ड ने माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर विषयों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है. बोर्ड ने मौजूदा विषयों के साथ बहु- विषयक और व्यावसायिक विषयों को जोड़ने का प्रस्ताव बनाया है. शिक्षण घंटों के अनुसार स्टूडेंट्स क्रेडिट कमाएंगे.

छात्र की ओर से इकट्ठे किए गए क्रेडिट को एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट में डिजिटल रूप से स्टोर किया जाएगा. ये डिजिलॉकर से लिंक होगा. सीबीएसई के एक आधिकारिक दस्तावेज में बताया गया है कि योजना के मुताबिक क्रेडिट, छात्र द्वारा प्राप्त अंकों से स्वतंत्र रहेंगे.

सीबीएसई अधिकारी ने कहा, “हम कुछ ऐसी गाइडलाइंस का सेट बनाने पर काम कर रहे हैं जो स्कूल में शिक्षकों को इस बदलाव को लागू करने में सहायता करेगी. गाइडलाइंस से नया सिस्टम लागू करने में उन्हें गाइडेंस मिलेगा. दिशानिर्देश एक व्यापक स्ट्रक्चर के रूप में कार्य करेंगे मगर शिक्षकों की स्वायत्तता बनी रहेगी. हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं है कि क्रेडिट प्रणाली अगले शैक्षणिक ईयर से शुरू की जाएगी या उसके बाद.

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