सरकार इन 4 बैंकों को कर रही है प्राइवेट, आप ग्राहक हैं या नहीं चेक करें

नई दिल्ली । भारत सरकार ने  मध्यम आकार के इन बैंकों को निजीकरण के लिए शॉर्टलिस्ट किया है. सूत्रों के अनुसार शीघ्र ही इन्हें सरकारी से निजी बैंक बना दिया जाएगा. न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार 4 सरकारी बैंकों, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को केंद्र सरकार ने निजीकरण के लिए शॉर्टलिस्ट किया है. सरकार सरकारी बैंकों में हिस्सेदारी बेचकर राजस्व को बढ़ाना चाहती है ताकि उस पैसे का प्रयोग सरकारी योजनाओं में किया जा सके.

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प्राइवेटाइजेशन से नौकरियां संकट में

गैरतलब, हजारों कर्मचारियों वाले बैकिंग सेक्टर में प्राइवेटाइजेशन राजनीतिक तौर पर एक बहुत बड़ा जोखिम का कार्य है क्योंकि इसके कारण हजारों नौकरियों पर संकट आ सकता है. बैंक यूनियन के एक अनुमान के अनुसार इंडियन ओवरसीज बैंक में 26,000, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में लगभग 13,000, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 33,000 और बैंक ऑफ इंडिया में 50,000 कर्मचारी हैं. सूत्रों के अनुसार बैंक ऑफ महाराष्ट्र में कर्मचारियों की संख्या कम है इसलिए इसका प्राइवेटाइजेशन आसान हो सकता है. हो सकता है कि सबसे पहले बैंक ऑफ महाराष्ट्र को ही प्राइवेट बैंक बनाया जाए.

नए वित्त वर्ष 2021-22 में हो सकता है 2 बैंकों का निजीकरण

रॉयटर्स को सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार शॉर्टलिस्ट किए गए इन 4 बैंकों में 2 बैंकों का प्राइवेटाइजेशन नए शुरू होने वाले वित्तवर्ष 2021-22 में होगा. सरकार बैंकिंग सेक्टर में प्राइवेटाइजेशन के पहले चरण के अंतर्गत mid-size और छोटे बैंकों में हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है. सरकार आने वाले सालों में भारत के बड़े बड़े बैंकों पर भी यह दाव लगा सकती हैं.

एसबीआई बना रहेगा सरकारी बैंक

वित्त मंत्रालय की तरफ से इस मामले के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की गई है. यह खबर भी सामने आ रही है कि भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई को प्राइवेट नहीं किया जाएगा. सरकार एसबीआई में अपनी बहुलांश हिस्सेदारी बनाए रखेगी. केंद्रीय बजट 2021 को पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि एक सामान्य बीमा कंपनी और सार्वजनिक क्षेत्र के 2 बैंकों का प्राइवेटाइजेशन करने की योजना है क्योंकि इस समय केंद्र सरकार विनिवेश पर अधिक ध्यान दे रही है.

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