ओपन स्कूल वाले भी दे पाएंगे NEET, रेगुलर पढ़ाई नहीं जरूरी; SC ने हटाई 27 साल पुरानी रोक

नई दिल्ली, NEET | ओपन स्कूल से 12वीं की पढ़ाई करने वाले छात्रों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट नें छात्रों का डॉक्टर बनने का रास्ता साफ कर दिया है. SC का कहना कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) और राज्य शिक्षा बोर्ड द्वारा मान्यता सभी ओपन स्कूल अब राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) के लिए राष्ट्री चिकित्सा परिषद (NMC) द्वारा मान्यता प्राप्त होंगे. अब मान्यता प्राप्त ओपन स्कूलों से 12वीं (10+2) पास विद्यार्थी भी Neet एग्जाम में बैठने के योग्य होंगे.

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लाखों छात्र- छात्राओं को मिली खुशखबरी

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) ने ओपन स्कूल स्टूडेंट्स को नीट परीक्षा में बैठने की अनुमति देने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों के पक्ष में निर्णय देते हुए उन्हें मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम यानी नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) में बैठने पर मंजूरी दे दी है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले नें उन सभी लाखों छात्र- छात्राओं के लिए बड़ी खुशी दी है, जो आर्थिक तंगी या अन्य किसी परेशानी के चलते रेगुलर पढ़ाई नहीं कर पाते और उनका डॉक्टर बनने का सपना, सपना ही रह जाता है.

1997 में लगा दी गई थी रोक

अब ये छात्र भी नीट की परीक्षा देकर मेडिकल की पढ़ाई कर पाएंगे. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) ने 1997 के रेगुलेशन ऑन ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन के खंड 4 (2) ए के प्रावधानों के अनुसार ऐसे उम्मीदवारों के नीट परीक्षा में बैठने पर रोक लगा दी थीं. बाद में साल 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने इस प्रावधान को असंवैधानिक कहते हुए इसे रद्द कर दिया था.

एमसीआई के इस प्रावधान को रद्द करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस चंद्र शेखर की बेंच ने कहा था कि मेडिकल ने इस धारणा को आगे बढ़ाया है कि जो स्टूडेंट्स आर्थिक तंगी और कठिनाइयों और सामाजिक कारणों से रेगुलर स्कूलों में नहीं जाते हैं, वे अन्य छात्रों की अपेक्षा में हीन और कम योग्य हैं.

सुप्रीम कोर्ट में की गई थी अपील

कोर्ट ने इस प्रकार की धारणा को संवैधानिक प्रावधानों और लोक धारणा के विरुद्ध होने की वजह से खारिज करने का निर्णय लिया था. इसके साथ ही कोर्ट नें कहा था कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और पेशेवर डिग्री हासिल करने का मौका देने के अधिकार का उल्लंघन है. बाद में MCI ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसमें अब यह निर्णय दिया गया है.

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