पानीपत: दो दोस्तों ने शुरू की गुरुकुलम पाठशाला, झुग्गियों में रहने वाले बच्चों के जीवन में भर रहे हैं रोशनी

पानीपत । इस कहानी में हम जिक्र कर रहे हैं दो दोस्त बीटेक पास आयुष और एमबीए कर रहे माधव का. लोग सुबह उठकर जहां मॉर्निंग वॉक के निकलते हैं तो वही ये दोनों दोस्त झुग्गी-बस्ती में बच्चों को जगाने के लिए पहुंचते हैं. फिर शुरू होता है इन्हें पॉर्क में साथ लेजाकर पढ़ाने का सिलसिला. यहां पर इन्हें क,ख,ग से लेकर अंग्रेजी की A,B,C,D तक पढ़ाई जाती है.
दो सप्ताह पहले 7 बच्चों के साथ शुरू हुआ गुरुकुलम पाठशाला का सफर 35 बच्चों तक पहुंच गया है. दोनों दोस्तों की सकारात्मक पहल ने आज 6 शिक्षकों को भी अपने साथ जोड़ने का काम किया है.

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माधव सेतिया को गुरुकुलम की प्रेरणा राजधानी दिल्ली से मिली. माधव जब दिल्ली रोहिणी स्थित महाराजा अग्रसेन कालेज से बीबीए की पढ़ाई कर रहे थे तब वहां आईएएस अधिकारी वैदिता रेड्डी कालेज पहुंची थी. वो गरीब जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने के लिए पंखुड़ी प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी और कालेज के स्टूडेंट्स को भी अपनी टीम में शामिल करना चाहती थी. माधव उस टीम का हिस्सा बनें और देखते ही देखते उन्होंने पूरा प्रोजेक्ट संभाल लिया.

माधव बीबीए की पढ़ाई पूरी कर पानीपत लौटें लेकिन जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने का जुनून ज्यों का त्यों बना हुआ था. इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए कुछ दोस्तों से विचार-विमर्श किया गया , पर इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनें आयुष मितल. दोनों ने सेक्टर-12 के पार्क को बच्चों को पढ़ाने के लिए उपयुक्त स्थान माना और सेक्टर के आसपास झुग्गी-बस्ती में रहने वाले परिवारों से सम्पर्क साधा. किसी तरह 7 बच्चे पढ़ने के लिए राजी हुए. हालांकि ये बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते है लेकिन पढ़ाई के नाम पर ज़ीरो थे. केवल रजिस्टर में ही नाम दर्ज थे और कभी-कभार स्कूल जाना होता था. गुरुकुलम पाठशाला में जब बच्चे आने लगें तो उन्होंने पढ़ाई में रुचि दिखाना शुरू कर दिया तो इन्हें देखकर दूसरे परिवार भी अपने बच्चों को भेजने के लिए तैयार हो गए.

अब ग्रुप में पढ़ते है बच्चे

इन दोस्तों की पहल देखकर छः शिक्षक भी इनके साथ जुड़े. सीमा, तरूण, विपुल , तनिष्का, मुस्कान व तान्या यहां ग्रुप में बच्चों को पढ़ा रहे हैं. पढ़ाई के साथ ही बच्चों को खेलकूद की प्रक्रिया करवाई जाती है. बच्चों को पढ़ने के लिए कॉपी- किताब यही पार्क में ही मिलती है. एक घंटे की कक्षा के बाद ये कॉपी- किताब वहीं ट्रक में सहेज ली जाती है.

रिटायर प्रिंसिपल भी साथ जुड़े

पार्क में बच्चों को पढ़ाते देख केन्द्रीय विद्यालय से रिटायर्ड प्रिंसिपल भी वहां पहुंचे और पूरी प्रक्रिया को जानकर भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि वो भी बच्चों को पढ़ाने के लिए आएंगे. सुबह-2 लोग उन्हें बच्चों के साथ देखकर हैरत में पड़ जाते हैं.

समाजसेवी भी कर रहे हैं मदद

गुरुकुलम पाठशाला में पढ़ने आने वाले बच्चे 6-14 वर्ष की आयु के हैं. सभी स्कूल में रजिस्टर्ड हैं. पिछले दो साल से कोरोना के चलते पढ़ाई प्रभावित हो रही है. अब समाजसेवी संस्थाओं ने भी मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाने शुरू कर दिए हैं.

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