पहले ताउते और अब यास, जानिए इन चक्रवातों के नाम रखने की रोचक वजह

लाइफस्टाइल डेस्क | चक्रवर्ती तुफानों का नाम दिए जाने की एक खास प्रकिया होती है जिसके बारे में आज एचएयू यूनिवर्सिटी कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ मदन खिचड़ ने जानकारी दी है. उत्तरी हिंद महासागर में बनने वाले तुफानों जिसमें अरब सागर व बंगाल की खाड़ी भी सम्मिलित हैं, का नाम सुझाने के लिए 13 देशों का एक पैनल है. जो विश्व मौसम संगठन के नियमानुसार जिसमें भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, मालदीव, ओमान, बांग्लादेश, म्यांमार, संयुक्त अरब अमीरात, यमन, थाईलैंड, कतर, ईरान और सऊदी अरब शामिल हैं. इन 13 देशों ने 2020 में तुफानों का नाम देने के लिए 13-13 नाम सुझाएं थे.

Dr. Madan Lal Khichad

इस तरह कुल 169 नाम तय हो चुके हैं. इन तुफानों को नाम देने का मकसद हर तुफान को एक अलग पहचान देना है जिसके बारे में आम जनता को उसके विकसित होने के समय उसके बारे में चेतावनी दी जा सके.

साइक्लोन कब बनता है ?

एचएयू यूनिवर्सिटी कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ मदन खिचड़ ने बताया कि साइक्लोन का नाम तभी दिया जाता है जब तूफान की स्पीड 34 नॉटिकल मील प्रति घंटा से अधिक होती है. तूफान का नाम रखते वक्त इस बात का ख्याल रखा जाता है कि ये नाम लिंग, धर्म, संस्कृति और राजनीतिक रूप से तटस्थ हों और उन नामों से किसी की भावनाओं को ठेस ना पहुंचे. नाम छोटे तथा आसानी से पुकारें जाने वाले होने चाहिए तथा एक नाम में अधिकतम 8 शब्द ही होने चाहिए.

ताउते नाम म्यांमार ने रखा व यास का नाम ओमान ने रखा है. अब अगले तूफान का नाम पाकिस्तान की तरफ से निर्धारित है जिसका नाम गुलाब होगा. इसके बाद शाहीन नाम उपयोग में लाया जाएगा जो कतर की देन है. एक देश का सुझाया नाम बाकी 13 देशों के सुझाएं नाम के बाद आता है और यह चक्र यूंही चलता रहता है.

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