हरियाणा के इस गांव में भगवान शिव हैं सरपंच, रामायण काल से जुड़ा है इतिहास, जाने दिलचस्प कहानी

कैथल | हरियाणा के कैथल का एक गांव ऐसा है जिसकी जिम्मेदारी महादेव संभालते हैं. सरपंच भी महादेव और पंच भी. इस गांव में भी एक ही ग्रामीण है. वह महादेव हैं. इस शिव मंदिर का इतिहास रघुवंश से जुड़ा है. यानी भगवान श्री राम से.

shiv mandir

हजारों वर्ष पुराना है मंदिर

ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ पांच हजार वर्षों से भोले शिव शंकर ने स्वयं पंच और सरपंच की कमान संभाली है. बात कर रहे हैं कलायत विधानसभा के बे चिराग गांव खदलवा की. इस धरती पर शिव शंभू को पातालेश्वर और खतवांगेश्वर के नाम से जाना जाता है. किसी जमाने में यहां की विकसित संस्कृति थी. बाद में शकों और हूणों के आक्रमणों ने इस गाँव को तबाह कर दिया. उसके बाद यह फिर से आबाद हो सका. इसी भूखंड पर पांच हजार वर्ष पूर्व से ही प्राचीन शिव मंदिर स्थित है. ये इस गांव के पंच और सरपंच माने जाते हैं.

यह है गांव की प्रकृति

राजस्व विभाग में इस गांव की कृषि और गैर कृषि भूमि है. गांव में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, धर्मशाला, सहकारी बैंक, अस्थाई बस स्टैंड, गौशाला, पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग स्नानागार, दो सड़कें, गलियां और ग्रामीण परिवेश से जुड़ी विभिन्न सुविधाएं हैं. लेकिन गांव में न तो कोई स्थायी दुकान है और न ही कोई पूर्ण आवासीय घर. गांव का इतिहास हजारों साल पुराना है.खुदाई के दौरान पुरानी दीवारों, मिट्टी के बर्तनों, औजारों, मिट्टी की चूड़ियों और मानव जीवन से जुड़ी वस्तुओं के अवशेष आज भी मिले हैं.

नही होगा चुनाव

ग्रामीणों का कहना है कि हरियाणा राज्य में सितंबर माह में पंचायती राज के चुनाव संभव हैं. पंच, सरपंच, प्रखंड समिति और जिला परिषद के चुनावी मौसम में प्रवेश के लिए अनगिनत संभावित उम्मीदवार कमर कस रहे हैं. इस सियासी परिदृश्य के बीच खदलवा में पंच और सरपंच के चौधर को लेकर चुनावी शंखनाद नहीं होगा.

इस समय गांव में एक ही मतदाता

गांव की मतदाता सूची में एक ही मतदाता है. इस गांव में आजादी के बाद से ही प्राचीन शिव मंदिर की देखरेख में रहने वाले साधु समुदाय के लोग ही वोट डालते हैं.

रघुवंशी से संबंधित है ग्राम खदलवा का इतिहास

पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव का संबंध भगवान राम के वंश रघुवंश से है. रघुवंश के राजा खतवांग ने राज्य त्याग कर गांव खदलवा में भगवान शिव की आराधना कर मोक्ष प्राप्त किया था. समय बीतने के साथ, परिवर्तनों ने सभ्यता को धुंधला कर दिया. लेकिन शिव का पौराणिक महत्व कभी कम नहीं हुआ.

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