हरियाणा बनेगा देश का पहला ‘लाल डोरा’ मुक्त राज्य, इस दिन पूरी होगी प्रक्रिया

चंडीगढ़ । स्वामीत्व योजना के तहत हरियाणा के 6286 गांवों में ड्रोन सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है। अब तक 19 लाख से ज्यादा प्रॉपर्टी कार्ड बन चुके हैं। इसके साथ ही हरियाणा देश का पहला ‘लाल डोरा’ मुक्त राज्य बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है.

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20 अप्रैल तक पूरी होगी प्रकिया

मुख्य सचिव संजीव कौशल ने शुक्रवार को उपायुक्तों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में निर्देश दिया कि अगले 10 दिनों में 50 प्रतिशत संपत्ति कार्ड बांटे जाएं. हरियाणा पंचायती राज अधिनियम की धारा 26 के तहत आमंत्रित दावों और आपत्तियों के लिए 30 दिनों की नोटिस अवधि भी 20 अप्रैल तक पूरी कर ली जाएगी.24 अप्रैल तक इस योजना के तहत सभी कार्य पूरे कर लिए जाएंगे. जिन संपत्तियों के संबंध में कोई विवाद नहीं है, उनके संपत्ति कार्ड तत्काल जनरेट करने को कहा गया है.

5737 गांवों के दावों का हो चुका है निवारण

बैठक में बताया गया कि सभी 6286 लक्षित लाल डोरा गांवों में ड्रोन मैपिंग, मैप-1 और मैप-2 का काम पूरा कर लिया गया है. जल्द ही मैप-3 का काम भी पूरा कर लिया जाएगा. अब तक 5737 गांवों के दावों और आपत्तियों का निवारण किया जा चुका है और शेष गांवों के लिए प्रक्रिया जारी है.

5038 गांवों का फाइनल मैप सर्वे एसओआई को भेजा

फिलहाल 5038 गांवों का फाइनल मैप सर्वे ऑफ इंडिया (एसओआई) को भेज दिया गया है.जिन 699 गांवों में दावों और आपत्तियों का निपटारा किया जा चुका है, उनका अंतिम स्वामित्व डेटा SOI को भेजने के निर्देश दिए गए हैं ताकि प्रत्येक संपत्ति का अंतिम नक्शा और भूमि पार्सल नक्शा तैयार किया जा सके.

मुख्य सचिव ने बताया कि सभी जिलों के तकनीकी कर्मचारियों को भूमि पार्सल मानचित्र डेटा से संपत्ति कार्ड बनाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है ताकि जिलों द्वारा संपत्ति कार्ड के वितरण और तैयारी को सुचारू रूप से जारी रखा जा सके.

विकास एवं पंचायत विभाग को भी विवादों का ब्योरा साझा करने को कहा गया है. बैठक में अपर मुख्य सचिव एवं वित्त आयुक्त पीके दास, मिशन निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल गिरीश कुमार, सर्वे ऑफ इंडिया के निदेशक कर्नल कुणाल ने भी बैठक में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए.

लाल डोरा क्या है?

लाल डोरा हर गांव में एक ऐसी जमीन है, जो आम तौर पर बिना किसी राजस्व रिकॉर्ड के आवासीय उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाती है. लाल डोरा शब्द का प्रयोग पहली बार 1908 में एक गाँव की बस्ती (जनसंख्या) भूमि को परिभाषित करने के लिए किया गया था. इसका उपयोग केवल गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए किया जाता था.लाल डोरा को कृषि भूमि से अलग करने के लिए राजस्व विभाग ग्राम विस्तार भूमि के चारों ओर लाल डोरा तय करता था.

क्या होगा इससे लाभ

लाल-डोरा मुक्त होने से गांवों की संपत्ति को विशेष पहचान मिलेगी. अचल संपत्ति पर ऋण भी बैंक द्वारा स्वीकृत किया जाएगा. ग्रामीणों को अपनी संपत्ति बेचने और खरीदने का भी अधिकार मिलेगा. इससे स्वामित्व से जुड़े मामले पर भी नियंत्रण हो जाएगा.

लाल डोरा क्षेत्र में नहीं हुई रजिस्ट्री

बता दें कि लाल डोरा को भवन निर्माण उप-नियमों और निर्माण कानूनों आदि से छूट दी गई थी. इससे इन संपत्तियों का विकास हुआ. पहले लाल डोरा में मकान या जमीन की रजिस्ट्री नहीं होती थी. इससे परिवारों और समाजों के बीच संघर्ष हुआ. संपत्ति होने के बावजूद संपत्ति के स्वामित्व का कोई कागज नहीं था. ग्रामीणों द्वारा उपयोग की जाने वाली और पंचायत के स्वामित्व वाली भूमि का कोई उचित सीमांकन नहीं था.जिससे गांवों में सार्वजनिक स्थलों, खेल के मैदानों, तालाबों, नालियों आदि पर अतिक्रमण हो गया.

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