चंडीगढ़ में मेट्रो प्रोजेक्ट फिर लटका, जानें इस बार कहां फंसा पेंच; जमीन मिलने में देरी से अटका प्रोजेक्ट

चंडीगढ़ | पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ में मेट्रो दौड़ने प्रोजेक्ट पर फिर पेंच फस गया है. चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा बार- बार रिमाइंडर भेजने के बावजूद भी पंजाब सरकार की ओर से मेट्रो डिपो निर्माण के लिए न्यू चंडीगढ़ में 21 एकड़ जमीन नहीं दी है, जिसके चलते प्रोजेक्ट समय पर पूरा होता नहीं दिख रहा है क्योंकि मार्च तक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार की जानी थी, लेकिन जमीन नहीं मिलने की वजह से अब यह काम भी रूका हुआ है.

Metro Train

डीपीआर तैयार होने पर ही इस प्रोजेक्ट को केन्द्र सरकार के पास भेजा जाना था. इस प्रोजेक्ट पर साढ़े 10 हजार करोड़ रूपए की लागत राशि खर्च होने की संभावना है.

जमीन मिलने में देरी से अटका प्रोजेक्ट

मेट्रो डिपो निर्माण के लिए पहले न्यू चंडीगढ़ के सुल्तानपुर गांव में जमीन दी जानी थी, लेकिन वहां पर जमीन महंगी होने और अन्य दूसरे कारणों का हवाला देते हुए पंजाब सरकार ने जमीन देने से इंकार कर दिया. इसके बाद, चंडीगढ़ प्रशासन के साथ बैठक में परोल गांव में जमीन देने की योजना बनाई गई थी लेकिन वहां पर पंजाब लैंड प्रिजर्वेशन एक्ट (PLPA) लगा होने की वजह से देरी हो रही है.

बता दें कि पिछले साल मार्च महीने में यूटी प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित की अगुवाई में चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली में मेट्रो चलाने की योजना को अमलीजामा पहनाने की तैयारियां शुरू हुई थी. करीब 1 साल तक इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम आगे बढ़ा लेकिन बीते कुछ महीनों से जमीन न मिलने के चलते फिर से यह प्रोजेक्ट लटक गया है.

2 कोच मेट्रो चलाने की सलाह

बता दें कि इसी साल 15 जनवरी को नई दिल्ली में केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने यूटी प्रशासन के अधिकारियों की बैठक में ट्राईसिटी में पहले चरण में टू कोच मेट्रो चलाने का सुझाव दिया है. हेरिटेज स्टेट के कारण मेट्रो ट्रैक अंडरग्राउंड बनाने पर भी मंत्रालय ने सवाल उठाया है.

केंद्र सरकार ने एलिवेटेड ट्रैक के विकल्प पर विचार करने को कहा है. साथ ही, चंडीगढ़ प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है, जिसमें एलिवेटेड ट्रैक नहीं बनाने का पत्र जारी किया गया है क्योंकि अंडरग्राउंड ट्रैक निर्माण पर एलिवेटेड ट्रैक के मुकाबले 3 से 4 गुना अधिक राशि खर्च होती है.

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