हरियाणा के इस गांव में युवाओं की पहल बटोर रही है सुर्खियां, हरियाली बढ़ाने के लिए खुद ही तैयार करते हैं पौधे

बहादुरगढ़ | दिल्ली से सटे हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र का एक गांव जहां युवाओं की टोली पर पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने की ऐसी धुन चढ़ी कि उन्होंने हरियाली को बढ़ावा देना एक मिशन बना लिया. युवाओं की यह टोली आसपास के क्षेत्र में पौधरोपण तो करती ही है, साथ ही नर्सरी भी तैयार कर रहे हैं. बीज एकत्रित कर तथा दूसरे माध्यमों से भी गांव में पौधे तैयार करते हैं और फिर सार्वजनिक स्थानों पर पौधारोपण भी करते हैं.

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बहादुरगढ़ के गांव आसौदा में युवाओं की इस टोली ने अपनी पहल से सार्वजनिक स्थानों पर प्रकृति का रंग चढ़ा दिया है. गांव के युवा इस मुहिम में 100-100 रुपए दान करते हैं और इन्ही रूपयों से नर्सरी के लिए दवाई, पन्नी (थैलियां), जाल व नलाई – गुड़ाई आदि का सामान लाया जाता है. इसके द्वारा पेड़-पौधों का रखरखाव किया जाता है. नई पौध तैयार करने के लिए खेतों से आम, जामुन की गुठलियां, नीम की निंबोली, पीपल, बरगद आदि को इकट्ठा किया जाता है.

पौध को सर्दी से बचाव के लिए चद्दर व घासफूस का इस्तेमाल किया जाता है. समय- समय पर पौधों की देखभाल करते हुए इनमें खाद पानी व दवाई आदि डालकर संरक्षित किया जाता है. इस काम के दौरान अत्यधिक सावधानी और परिश्रम की आवश्यकता होती है. तैयार पौधों को वृक्षारोपण के लिए सार्वजनिक स्थानों पर भेजा जाता है.

10 हजार पौधे तैयार करने का लक्ष्य

युवा सुनील आर्य के संरक्षण में नर्सरी तैयार की इस मुहिम को 5 जून 2021 को शुरू किया गया था. इसके तहत शुरुआत में दो हजार पौध तैयार की गई थी और अब इस आंकड़े को बढ़ाकर 10 हजार के पार लेकर जाना है. इस दिशा में आगे बढ़ते हुए गांव के श्मशान घाट में दूसरी नर्सरी तैयार की गई है और इसमें तीन हजार पौध तैयार हो रही है. इन सभी पौधों को तैयार करने के लिए 200 लीटर के चार ड्रम खाद व कीटनाशक आदि मंगवाए हैं. नर्सरी में पौध तैयार करने की इस मुहिम में गांव के युवाओं के साथ- साथ, बच्चे, बुजुर्ग, रिटायर फौजी, महिलाएं सब समय निकाल कर सहयोग करते हैं.

आक्सीजन बढ़ाने का लक्ष्य

मिशन हरियाली के नाम से विख्यात युवाओं की इस टोली का मकसद गांव की पंचायती जमीन, सरकारी स्कूल, मंदिर, बस स्टैंड, श्मशान घाट, स्टेडियम आदि जगहों पर पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है. युवाओं का कहना है कि जितने अधिक पेड़- पौधे होंगे, पर्यावरण उतना ही स्वच्छ होगा और वायुमंडल में आक्सीजन की मात्रा बढ़ेगी. उन्होंने बताया कि उनकी कोशिश रहेगी कि हर साल 5 हजार पौधे लगाए जाएं ताकि आने वाली पीढ़ी स्वस्थ वातावरण में सांस ले सकें और सुखमयी जीवन व्यतीत कर सके.

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