500 साल पुराना इतिहास है कैथल की छोटी देवी मंदिर का, खुदाई में निकली थी मां की प्रतिमा

कैथल । कैथल शहर के पार्क रोड पर छोटी देवी मंदिर 500 सालों से भी अधिक पुराना है. यह मंदिर भाई उदय सिंह किला के पास स्थित है. इस मंदिर की काफी ऐतिहासिक मान्यता भी है. जिस वजह से नवरात्रों में इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ पूजा अर्चना करने के लिए उमड़ती है. बता दें कि यह मंदिर महाभारत कालीन है. इस मंदिर में नवरात्र पर्व के उपलक्ष्य में मां ज्वाला जी से खंड ज्योति जलाई जाती है. इस अखंड ज्योत के आगे ही श्रद्धालु नतमस्तक होते हैं. वही इस मंदिर में नवरात्रों के दिनों में सात दिवसीय महायज्ञ भी होता है. नवरात्र के पहले दिन यहां पर हरा नारियल चढ़ाने की विशेष परंपरा है.

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कैथल में स्थित 500 साल पुराना छोटी देवी मंदिर

वही मंदिर के पुजारी पंडित विनायक भारद्वाज ने बताया कि ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर करीब 500 वर्ष पुराना है. उन्होंने इस मंदिर की घटना के बारे में बताया, भाई उदय सिंह के स्वपन में आकर मां भगवती ने दर्शन दिए थे. इसके बाद महल के बगल में स्थित जगह पर खुदाई कराई गई. यहां से मां भगवती की प्राचीन प्रतिमा मिली. इसके बाद इस स्थान पर राजा ने मंदिर का निर्माण कराया. मंदिर से किले व महल तक गुफा बनाई गई है. यह रास्ता गुफा तक जाता है,  इसी गुफा के जरिए राजा मंदिर पहुंचे थे और पूजा-अर्चना करवाते थे.

इस मंदिर को मां राजेश्वरी के नाम से जाना जाता था. सप्तमी के दिन विशाल मेले का आयोजन होता है. बता दें कि इस मेले की शुरुआत भी राजा उदय सिंह के समय से हुई थी. इस मंदिर की विशेषता है कि इसका निर्माण छोटी ईटों से किया गया है. मंदिर का गुंबद 51 मीटर तक ऊंचा है. यह मंदिर काफी भव्य व आकर्षक है. वही इस मंदिर में भगवान श्री राम, शिव मंदिर, मां काली और भगवान हनुमान जी की भी प्रतिमा स्थापित है. मां के दरबार के पीछे मंदिर में एक हाल स्थापित्त किया गया है जहां पर धार्मिक कार्यक्रम किए जाते हैं.

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