कोर्ट में टिक पाएगा खट्टर सरकार का नया कानून? प्राइवेट नौकरी में 75% सीटें हरियाणा के लोगों के लिए किया है रिजर्व

चंडीगढ़ । हरियाणा में निजी सेक्टर की एक निर्धारित वेतनमान तक की 75% नौकरियों में हरियाणा के नागरिकों को आरक्षण देने का हरियाणा सरकार का नया कानून अब विवादों के घेरे में है. आपको बता दें कि हरियाणा की खट्टर सरकार का यह निर्णय विधानसभा चुनाव में हरियाणा के नागरिकों से किए गए चुनावी वादे का ही भाग है.

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कानून को करना पड़ रहा है कानूनी चुनौती का सामना

हरियाणा के स्थानीय नागरिकों के लिए हरियाणा राज्य रोजगार अधिनियम, 2021 निजी नौकरियों में 75% आरक्षण का प्रावधान करता है. इस नए कानून के अंतर्गत प्रत्येक निजी कंपनी को 50,000 से कम सैलरी वाली नौकरियों के लिए 75% सीटें हरियाणा के स्थानीय नागरिकों के लिए आरक्षित रखनी है. अब इस नए कानून को हरियाणा-पंजाब हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी संविधानिकता को चुनौती दिए जाने पर कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

संविधान के कुछ ऐसे प्रावधान जो आरक्षण कोटा को सक्षम बनाएं

भारतीय संविधान के भाग 3 में भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों के बारे में बताया गया है. संविधान का अनुच्छेद 14 सभी व्यक्तियों को कानून के समान संरक्षण और कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है. इसी प्रकार अनुच्छेद 15 (1) और अनुच्छेद 15 (2) भी जन्म, स्थान, लिंग, जाति, नस्ल, धर्म या उनमें से किसी पर भी किसी भी नागरिक से भेदभाव करने से रोकते हैं.

कोर्ट सरकार को पिछड़े वर्गों या एससी एसटी को आरक्षण का निर्देश दे सकता है?

नहीं, कोर्ट सरकार को नागरिकों के किसी भी वर्ग को आरक्षण देने का कोई निर्देश जारी नहीं कर सकता है. कई सरकारों ने 1963 से ही इस बात पर बल दिया है कि अनुच्छेद 15 (4) और 16 (4) प्रावधानों को सक्षम कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में ओबीसी या एससी एसटी युवा नागरिकों के किसी भी अन्य समूह को आरक्षण देने हेतु हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट कोई निर्देश जारी नहीं कर सकते.

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