चंद्रयान 3 सफलतापूर्वक बढ़ रहा आगे, इस दिन होगी चांद पर लैंडिंग; जानें अहम सवालों के जवाब

नई दिल्ली | इसरो वैज्ञानिकों ने चंद्रयान 3 की 5वीं और आखिरी पृथ्वी की कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया. चंद्रयान अभी 127609 किमी x 236 किमी की कक्षा में है. इसका मतलब यह है कि चंद्रयान ऐसी अण्डाकार कक्षा में घूम रहा है, जिसकी पृथ्वी से न्यूनतम दूरी 236 किमी और अधिकतम दूरी 1,27,609 किमी है. इससे पहले 20 जुलाई को 71,351 किमी x 233 किमी की परिक्रमा की गई थी. अब अंतरिक्ष यान 31 जुलाई और 1 अगस्त की आधी रात को पृथ्वी की कक्षा छोड़कर स्लिंग शॉट के माध्यम से चंद्रमा की ओर बढ़ेगा. 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचेगा, यह 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरेगा.

Chandrayaan 3

चंद्रयान- 3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल है. लैंडर और रोवर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेंगे और 14 दिनों तक वहां प्रयोग करेंगे. प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर पृथ्वी से आने वाले विकिरण का अध्ययन करेगा. इस मिशन के जरिए इसरो यह पता लगाएगा कि चंद्रमा की सतह पर भूकंप कैसे आते हैं. यह चंद्रमा की मिट्टी का भी अध्ययन करेगा.

अब चंद्रयान मिशन से जुड़े 4 अहम सवालों के जवाब

इस मिशन से भारत को ये होगा हासिल: इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मनीष पुरोहित का कहना है कि इस मिशन के जरिए भारत दुनिया को बताना चाहता है कि उसके पास चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और वहां रोवर चलाने की क्षमता है. इससे दुनिया का भारत पर भरोसा बढ़ेगा जिससे व्यापारिक कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी. भारत ने अपने हेवी लिफ्ट लॉन्च व्हीकल LVM3- M4 से चंद्रयान लॉन्च किया है. भारत पहले ही इस वाहन की क्षमता दुनिया को दिखा चुका है.

पिछले दिनों अमेज़न के संस्थापक जेफ बेजोस की कंपनी ‘ब्लू ओरिजिन’ ने इसरो के LVM3 रॉकेट का उपयोग करने में अपनी रुचि दिखाई थी. ब्लू ओरिजिन LVM3 का उपयोग वाणिज्यिक और पर्यटन उद्देश्यों के लिए करना चाहता है. LVM3 के माध्यम से, ब्लू ओरिजिन अपने क्रू कैप्सूल को नियोजित लो अर्थ ऑर्बिट अंतरिक्ष स्टेशन पर ले जाएगा. इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मनीष पुरोहित ने कहा कि इस मिशन के जरिए भारत दुनिया को बताना चाहता है कि उसके पास चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और वहां रोवर चलाने की क्षमता है.

मिशन दक्षिणी ध्रुव पर ही इस वजह से भेजा: चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र अन्य क्षेत्रों से काफी भिन्न हैं. यहां कई हिस्से ऐसे हैं जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंच पाती और तापमान- 200 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है. ऐसे में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि वहां अभी भी बर्फ के रूप में पानी मौजूद हो सकता है. भारत के 2008 के चंद्रयान- 1 मिशन ने चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का संकेत दिया था. इस मिशन की लैंडिंग साइट चंद्रयान- 2 जैसी ही है. 70 डिग्री अक्षांश पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लेकिन इस बार रकबा बढ़ा दिया गया है. चंद्रयान- 2 में लैंडिंग साइट 500 मीटर X 500 मीटर थी. अब लैंडिंग साइट 4 किमी X 2.5 किमी है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऐसे कई हिस्से हैं, जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती और तापमान- 200 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है.

इस बार लैंडर में 5 की जगह 4 इंजन का ये है कारण: इस बार लैंडर के चारों कोनों पर चार इंजन (थ्रस्टर) लगे हैं लेकिन पिछली बार बीच के पांचवें इंजन को हटा दिया गया है. अंतिम लैंडिंग दो इंजनों की मदद से ही की जाएगी ताकि आपात स्थिति में दो इंजन काम कर सकें. चंद्रयान 2 मिशन में आखिरी वक्त पर पांचवां इंजन जोड़ा गया. इंजन को हटा दिया गया है ताकि अधिक ईंधन साथ ले जाया जा सके।

14 दिन का इस वजह से है मिशन: मनीष पुरोहित ने बताया कि चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक रोशनी रहती है। जब यहां रात होती है तो तापमान- 100 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है. चंद्रयान के लैंडर और रोवर अपने सौर पैनलों से बिजली पैदा करेंगे. इसलिए वे 14 दिनों तक बिजली उत्पादन करेंगे, लेकिन रात होते ही बिजली उत्पादन प्रक्रिया बंद हो जायेगी. यदि बिजली उत्पादन नहीं होगा तो इलेक्ट्रॉनिक्स भीषण ठंड का सामना नहीं कर पाएंगे और खराब हो जाएंगे. अगर सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता मिलती है यानी मिशन सफल होता है तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा.

चंद्रयान- 3 का अब तक का सफर

  • 14 जुलाई को चंद्रयान- 3 को 170 किमी x 36500 किमी की कक्षा में लॉन्च किया गया था.
  • 15 जुलाई को पहली बार कक्षा को बढ़ाकर 41762 किमी x 173 किमी कर दिया गया.
  • 17 जुलाई को कक्षा को दूसरी बार बढ़ाकर 41603 किमी x 226 किमी कर दिया गया.
  • 18 जुलाई को कक्षा को तीसरी बार बढ़ाकर 51400 किमी x 228 किमी कर दिया गया.
  • 20 जुलाई को कक्षा को चौथी बार बढ़ाकर 71351 x 233 किमी कर दिया गया.
  • 25 जुलाई को कक्षा को पांचवीं बार बढ़ाकर 127609 किमी x 236 किमी कर दिया गया.
  • 31 जुलाई और 1 अगस्त की मध्यरात्रि पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की ओर बढ़ेगा.

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