हरियाणा में तीन लालों के दम पर BJP की होगी नैया पार, 10 सीट पर जीत के लिए बनाया ये प्लान

चंडीगढ़ | मिशन 2024 को फतह करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने हरियाणा में अपनी बिसात बिछा दी है. रणनीति के तहत, लोकसभा चुनावों में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चेहरे और हरियाणा के तीन लालों के दम पर दसों सीटों पर तीसरी बार कमल खिलाने की कोशिश करेगी. इनके अलावा, हरियाणा की राजनीति में अलग अलग क्षेत्रों में प्रभाव रखने वाले बड़े नेताओं से भी भाजपा ने संपर्क साध लिया है.

BJP

मौजूदा राजनीतिक की ऐसी है स्थिति

मौजूदा राजनीतिक हालात की बात करें तो चौधरी भजनलाल का परिवार भाजपा में शामिल हो चुका है. भव्य बिश्नोई भाजपा से विधायक हैं और कुलदीप बिश्नोई से भाजपा को प्रदेश के अलावा राजस्थान में भी उम्मीदें लगाए बैठी है जबकि ताऊ देवीलाल परिवार की JJP पार्टी प्रदेश में सरकार में शामिल है.

निर्दलीय रणजीत सिंह चौटाला भी सरकार के साथ हैं और खुद अमित शाह ने उनके घर जाकर उनको साधने का काम किया है. इसी प्रकार इनेलो पहले से ही भाजपा की सहयोगी पार्टी रही है, इसलिए लोकसभा चुनावों को देखते हुए केंद्रीय नेता पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला पर निशाना साधने से बच रहे हैं. फिलहाल, केवल चौधरी बंसी लाल परिवार ही भाजपा से दूर है.

हाईकमान दे रहा पूरा तवज्जों

लाल परिवारों के अलावा बात करें तो दक्षिण हरियाणा की राजनीति में अपना मजबूत प्रभाव रखने वाले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत भाजपा के सांसद हैं. वह न केवल गुरुग्राम, फरीदाबाद बल्कि महेंद्रगढ़ भिवानी की सीट पर भी प्रभाव डालते हैं. हालांकि, कई बार वह प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुके हैं लेकिन हाईकमान लगातार उनको साधता रहा है.

इसी प्रकार पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह बांगर और जाट बहुल क्षेत्र में अपना दमखम रखते हैं. खुद उनके बेटे बृजेंद्र सिंह हिसार से सांसद हैं. बीरेंद्र सिंह भी जजपा और सरकार पर कई बार हमले बोल चुके हैं. इसके बावजूद, लोकसभा चुनावों को देखते हुए हाईकमान उनको पूरा तवज्जों दे रहा है.

10 सीटें जीतने का रखा लक्ष्य

भाजपा हाईकमान ने हरियाणा को दसों सीटों को तीसरी बार जीतने का लक्ष्य रखा है क्योंकि हरियाणा में भाजपा की पिछले 9 साल से सरकार है. इसलिए हाईकमान को उम्मीद है कि यहां यह कमाल हो सकता है. हरियाणा भाजपा के प्रभारी बिप्लब देव खुद सभी लोकसभा क्षेत्रों को नाप चुके हैं. साथ ही, दसों लोकसभा क्षेत्रों में अपनी रैलियां कर अपने मौजूदा सांसदों की जमीनी स्तर पर कितनी पकड़ है, इसका रिपोर्ट कार्ड भी तैयार कर चुके हैं. चुनाव में किसको दोबारा से मैदान में उतरना है और किसके स्थान पर नया चेहरा होगा, यह फैसला आने वाले दिनों में तय हो जाएगा.

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