यमुनानगर में पॉपुलर और सफेदा की लकड़ी का अकाल, दामों में हुआ इतना इजाफा

यमुनानगर | हरियाणा के जिला यमुनानगर में पॉपुलर और सफेदा की लकड़ी की भारी कमी देखने को मिल रही है. इसका सीधा असर प्लाइवुड उद्योग पर पड़ने की वजह से व्यापारी काफी परेशान हैं. मानकपुर और मंडौली बाजारों में लकड़ी प्राप्त मात्रा में पिछले कई समय से नहीं आ रही है. फिलहाल, कच्चा माल न मिलने की वजह से 50 फीसदी उत्पादन कम देखने को मिल रहा है.

Lakdi Wood

मजदूरों को हो रही परेशानी

मौजूदा समय में अब दोनों मंडियों में प्रतिदिन औसतन 230 ट्रॉली लकड़ी की आवक हो रही है. रमजान माह खत्म होने के बाद यह संख्या बढ़ गई है. रमजान के दौरान बाज़ारों में 100 ट्रॉली लकड़ी भी मुश्किल से उपलब्ध होती थी. फैक्ट्रियों में काम के घंटे भी कम करने पड़े हैं. ऐसे में यहां पर कार्य करने वाले मजदूरों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बाजारों में आधी से ज्यादा लकड़ी उत्तर प्रदेश से आती है. इसके बाद हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब से लकड़ी आती है.

जिले में 300 से अधिक प्लाइवुड इकाइयां

जिले में 300 से अधिक प्लाइवुड इकाइयां हैं. इसके अलावा 400 से अधिक पिलिंग और आरा मिलें है. ये प्लाइवुड इकाइयां प्रतिदिन 7,000 क्यूबिक मीटर प्लाई का उत्पादन करती हैं. कुछ साल पहले तक मानकपुर और मंडौली लक्कड़ मंडी में रोजाना 800 से ज्यादा ट्रैक्टर- ट्रॉली पॉपुलर और सफेदा की आवक होती थी.

ट्रॉलियों की संख्या 800 से घटकर 500 हो गई और अब यह संख्या 250 से भी कम रह गई है. पिछले कुछ दिनों से मानकपुर लक्कड़ मंडी में 70 से 100 ट्रॉलियां ही आने लगी हैं. रमजान में 35- 40 ट्रॉलियां ही आ रही थीं. वहीं, मंडौली मंडी में ट्रॉलियों की संख्या घटकर 150 रह गई है.

अभी ये है लकड़ी का रेट

लगातार घटती आवक के कारण पॉपुलर की कीमतें काफी बढ़ गई हैं. अब किस्म के आधार पर पॉपुलर की लकड़ी न्यूनतम 1,450 रुपये और अधिकतम 1,700 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है. पहले यह लकड़ी न्यूनतम 1,000 रुपये और अधिकतम 1,450 रुपये में बिक रही थी. बाजारों में जितनी कम लकड़ी आएगी, रेट उतना ही बढ़ेगा. किसानों को फायदा है तो कंपनी के संचालकों को नुकसान है.

पिछले काफी समय से 35- 40 ट्रॉली लकड़ी ही मंडी में आ रही थी. अब इसमें कुछ सुधार हुआ है. प्लाइवुड फैक्ट्री एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष जेके बिहानी ने कहा कि खेतों में बहुत कम पेड़ बचे हैं. यही कारण है कि रेट बढ़ने के बाद भी बाजारों में लकड़ी की आवक नहीं बढ़ रही है- विशाल गर्ग, सचिव, मार्केट कमेटी जगाधरी

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