हरियाणा CET: ग्रुप नंबर 56 और 57 की परीक्षा का बीच अधर में अटका पेंच, HSSC करेगा कोर्ट के फैसले का इंतजार

पंचकूला | हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) की तरफ से ग्रुप नंबर 56 और 57 की परीक्षाओं का आयोजन किया गया. ग्रुप नंबर 56 की परीक्षा में 41 से सवाल रिपीट हुए तब से घमासान चल रहा है. अभी तक हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की तरफ से इस बारे में कोई भी फैसला नहीं किया गया है. फिलहाल, यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जा चुका है ऐसे में अब आयोग को कोर्ट के फैसले का इंतजार है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की तरफ से भी इस पूरे मामले पर संज्ञान लिया गया है. परीक्षा में सवाल रिपीट होने की वजह से आयोग और सरकार को निशाना बनाया जा रहा है.

Haryana Staff Selection Commission HSSC

आयोग को अदालत के फैसले का इंतजार

विपक्षी दल के नेता भी लगातार सरकार पर हमला बोल रहे हैं. जिन 61 ग्रुपों की परीक्षा बाकी है, वह परीक्षा कराने के लिए भी आयोग जहां कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है. वहीं, हाईकोर्ट में यह मामला लंबित होने के कारण आयोग इस पर भी अदालत के अगले निर्देश का इंतजार कर रहा है. उधर, आयोग ने उस एजेंसी को ब्लैक लिस्ट करने का निर्णय किया है जिसने ग्रुप 56, 57 के पेपर बनाये थे.

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में मुख्य 2 केस चल रहे है. एक केस सिंगल बेंच के फैसले पर दायर की गई अपील का है जिसमें ग्रुप 56, 57 के पेपर आयोजित कराने की मंजूरी ली गई थी व दूसरा केस ग्रुप 56 की परीक्षा रद्द करने के आग्रह वाली याचिका का है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि ग्रुप 56 के पेपर में एक दिन पहले ग्रुप 57 की परीक्षा के पेपर से 41 साल रिपीट हुए थे. इस आधार पर ग्रुप 56 का पेपर रद्द करने व भर्ती प्रक्रिया केस लंबित रहने तक रोकने का आग्रह किया गया है. सिंगल बेंच का फैसला है कि सामाजिक- आर्थिक मानदंड के अंक वेरीफाई करने के बाद संशोधित सीईटी स्कोर घोषित किया जाए. उसके बाद, परीक्षाओं का आयोजन किया जाए. अपील में डबल बेंच ने ग्रुप 56, 57 की परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दे दी थी लेकिन रिजल्ट घोषित न करने के निर्देश दिए थे.

वैसे आयोग के पास सभी 41 सवालों समेत रिजल्ट घोषित करने, 41 सवाल हटाकर शेष 59 सवालों के आधार पर रिजल्ट घोषित करने, सभी 41 सवालों के अंक सभी परीक्षार्थियों को देने और ग्रुप 56 का पेपर रद्द करने का विकल्प मौजूद है. इन विकल्पों में से हाईकोर्ट जो भी विकल्प चुनने का आदेश जारी करेगा, आयोग उसके अनुसार फैसला लेगा.

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