एसपीआई रिपोर्ट में हरियाणा को झटका, देश के असुरक्षित राज्यों की सूची में टॉप पर

चंडीगढ़ | प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सामाजिक प्रगति सूचकांक (एसपीआई) रिपोर्ट में हरियाणा को झटका लगा है. रिपोर्ट में हरियाणा को देश के सबसे असुरक्षित राज्यों में शीर्ष स्थान दिया गया है. नागरिक सुरक्षा को लेकर इसे 100 में से 33.04 अंक मिले हैं. देश के 36 राज्यों में यह सबसे खराब स्थिति है. रिपोर्ट में नागालैंड को सबसे सुरक्षित राज्य बताया गया है.

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रिपोर्ट में ओडिशा को 34.86 अंक देकर दूसरे स्थान पर रखा गया है. असम को 35.24 के स्कोर के साथ देश का तीसरा सबसे असुरक्षित राज्य बताया गया है. तेलंगाना को 42.22 के स्कोर के साथ चौथे और पांचवें और 43.84 के स्कोर के साथ दिल्ली को रखा गया है.

इन पैरामीटर्स पर हरियाणा को परखा गया

सामाजिक प्रगति सूचकांक ने नागरिक सुरक्षा के संबंध में राज्य सरकार की व्यवस्थाओं और उनके प्रयासों की जांच की है. हत्या, महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराध, सड़क हादसों में मौत समेत जघन्य अपराधों के आंकड़ों में हरियाणा शीर्ष पर है.

केंद्र-राज्य में बीजेपी सरकार

सामाजिक प्रगति सूचकांक रिपोर्ट हरियाणा के लिए इसलिए भी अहम मानी जाती है क्योंकि केंद्र और राज्य दोनों जगह बीजेपी की सरकार है. इसके साथ ही 2024 में लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद विधानसभा चुनाव होने है. अपराध को लेकर राज्य की बिगड़ती स्थिति के कारण हरियाणा की मनोहर लाल सरकार मुश्किल स्थिति का सामना कर रही है. एसपीआई रिपोर्ट को लेकर विपक्षी दल भी लगातार सरकार पर निशाना साध रहे हैं.

अनिल विज का जनता दरबार फेल

हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज लोगों की समस्याओं को सुनने के लिए हर सप्ताह शनिवार को जनता दरबार का आयोजन कर रहे हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं और मौके पर उनका निवारण भी कर रहे हैं. अनिल विज के जनता दरबार में हर हफ्ते 6 से 7 हजार शिकायतें आ रही हैं, जिस पर वह देर रात तक सुनवाई भी करते हैं, इसके बाद भी एसपीआई की रिपोर्ट के आंकड़ों ने उनके जनता दरबार पर सवाल खड़ा कर दिया है.

हरियाणा में महिला अपराध में 27% की वृद्धि

हरियाणा में महिलाओं के खिलाफ अपराध एक साल में 27 फीसदी बढ़ा है. हरियाणा पुलिस की एक गोपनीय रिपोर्ट के मुताबिक अपहरण के 1766 मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें से 92 पुरुषों के अपहरण और 1674 महिलाओं के अपहरण के हैं. 1766 मामलों में से केवल 207 महिलाओं द्वारा और 257 अपहृत पुरुषों और महिलाओं के रिश्तेदारों द्वारा दर्ज कराए गए थे.

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