कपास का भाव आसमान पर, फिर भी बिजाई करने में रुचि नहीं दिखा रहें हैं किसान, जानिए वजह

जींद । खुले बाजार में नरमा कपास का भाव इस समय 10-12 हजार रुपए प्रति क्विंटल बना हुआ है लेकिन फिर भी किसान कपास की फसल की बिजाई करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. जिसके चलते गत वर्ष से इस बार कपास का रकबा 40 से 50 प्रतिशत घट सकता है.

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कपास की फसल से किसानों का मोह भंग होने की सबसे बड़ी वजह गुलाबी सुंडी है. पिछले साल गुलाबी सुंडी के प्रकोप ने कपास की फसल को तबाह कर दिया था जिसके चलते कई जिलों में किसानों ने कपास की खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाकर उसे नष्ट कर दिया था और अगली फसल की बिजाई कर दी थी. हालांकि कृषि विभाग और सरकार को इस बात का पहले से ही अंदेशा था कि इस बार कपास का रकबा घटेगा, जिसके चलते गुलाबी सुंडी पर नियंत्रण पाने के लिए खरीफ सीजन से पहले ही प्रयास शुरू कर दिए गए थे.

इस संबंध में कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों से सीधे सम्पर्क साधते हुए खेतों में रखें कपास के फसल अवशेष (लकड़ी) उठाने या नष्ट करने के आदेश दिए थे. वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों ने काटन मिल में जाकर भी निरीक्षण किया और वहां रखे बिनौले को ढक कर रखने के आदेश दिए थे, ताकि बिनौले से निकल कर गुलाबी सुंडी का फैलाव ना हो सके.

कैसे नुकसान पहुंचाती हैं गुलाबी सुंडी

गुलाबी सुंडी कपास के पौधे पर फूल से टिंडे के अंदर चली जाती हैं और टिंडे के अंदर बिनौले का रस चूस जाती है, जिससे कपास की गुणवत्ता खराब हो जाती है और वजन भी नहीं रहता. गुलाबी सुंडी की प्रजनन क्षमता भी बहुत ज्यादा है. कपास के एक खेत से दूसरे खेत में कुछ दिनों में फैल जाती है. साल 2018 में काफी सालों बाद पहली बार उचाना क्षेत्र के पालवां गांव में गुलाबी सुंडी देखी गई थी. उसके बाद प्रदेश के सभी कपास उत्पादक जिलों में गुलाबी सुंडी पहुंच गई और कपास की फसल को बुरी तरह से चौपट कर दिया था.

जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि पिछले साल जींद जिलें में 60 हजार हेक्टेयर भूमि पर कपास की फसल की बिजाई हुई थी. 15 मई तक कपास की बिजाई के लिए अनुकूल समय माना जाता हैं लेकिन अबी तक करीब 25 हजार हेक्टेयर भूमि पर ही कपास की बिजाई हो पाई है. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में 10 हजार हेक्टेयर में और कपास की बिजाई हो सकती है.

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