जानिए कब है सावन में प्रदोष व्रत, भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय

ज्योतिष | हिंदू धर्म में सावन के महीने को बेहद पवित्र माना जाता है. भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए यह महीना किसी भी पर्व से कम नहीं है. अबकी बार तो भक्त पहले से भी अधिक खुश है क्योंकि सावन का महीना 1 महीने का ना होकर पूरे 59 दिनों का है. 4 जुलाई से सावन के महीने की शुरुआत हो चुकी है और 31 अगस्त तक सावन का महीना रहेगा.

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19 सालों के बाद सावन का महीना 1 महीने का ना होकर 2 महीने का होने वाला है. इस वजह से इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. भगवान भोलेनाथ के भक्त उनको प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा अर्चना करते हैं.

प्रदोष काल में भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व

सावन के महीने में हरिद्वार में भी काफी भीड़ रहती है क्योंकि काफी संख्या में श्रद्धालु कावड़ लेने के लिए हरिद्वार जाते हैं. सावन के साथ- साथ हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन महीने में आने वाले प्रदोष व्रत रखने से घर में सुख समृद्धि बढ़ती है. साथ ही, व्यक्ति के जीवन में आ रही तमाम तरह की परेशानियां भी अपने आप समाप्त हो जाती है. आज हम आपको बताएंगे कि सावन में प्रदोष का व्रत कब है और आप किस प्रकार से यह व्रत करें.

कब है प्रदोष व्रत

इस महीने की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस दिन पर प्रदोष काल में भगवान शिव की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ 14 जुलाई शाम 7:17 मिनट पर होगा. इस तिथि का समापन अगले दिन 15 जुलाई को रात 12:32 मिनट पर होगा. इसी वजह से प्रदोष काल का व्रत 14 जुलाई शुक्रवार को रखा जाएगा. इस दिन शाम के समय प्रदोष का समय 7:21 मिनट से रात्रि 9:24 मिनट तक रहने वाला है.

क्या होता है प्रदोष काल

जैसा कि आपको पता है कि सावन महीने में भगवान शिव की उपासना करने का विशेष महत्व है उसी प्रकार सावन में प्रदोष व्रत का भी काफी महत्व है. प्रदोष व्रत रखने से साधकों को संतान सुख, वैवाहिक जीवन में सुख, धन प्राप्ति और ग्रह दोष से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है. प्रदोष काल के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है. ऐसा करने से जीवन में आ रही तमाम तरह की परेशानियां समाप्त हो जाती है. प्रदोष काल सूर्य उदय से लगभग 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के लगभग 43 मिनट के बाद तक मान्य रहता है.

डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. Haryana E Khabar इनकी पुष्टि नहीं करता है.

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