RBI ने डिजिटल करेंसी का परीक्षण किया शुरू, यहाँ समझे कैसे काम करता है डिजिटल रूपया

नई दिल्ली | रिजर्व बैंक (RBI) ने सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी डिजिटल रुपए का परीक्षण शुरू कर दिया है. यह आरबीआई द्वारा जारी नियमित नोटों की तरह ही होगा लेकिन इसका रूप इलेक्ट्रॉनिक है. इसकी कीमत भी मौजूदा रुपया सिक्कों के बराबर ही है. ई रूपया डिजिटल टोकन आधारित होगा. इसे सिर्फ केंद्र बैंक की जारी कर सकता है.

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खास वॉलेट में ही रखा जाएगा

  1. डिजिटल रुपए को सिर्फ खास वॉलेट में ही रखा जा सकता है. वॉलेट को बैंक द्वारा जारी किया जाएगा. लेकिन नियंत्रण और निगरानी आरबीआई करेगा. इसके जरिए आप पर्सन टू पर्सन, पर्सन टू मर्चेंट लेनदेन कर पाएंगे. यानी किसी भी व्यक्ति या दुकानदार को आसानी से पैसे भेज सकेंगे. इसमें लेनदेन QR-Code के माध्यम से होता है.
  2. डिजिटल रुपए का डिस्ट्रीब्यूशन टू टियर मॉडल पर आधारित है. इसे इशु और रिडीम करने का काम आरबीआई करेगा. जबकि डिस्ट्रीब्यूशन और पेमेंट से जुड़ी सेवाओं की जिम्मेदारी बैंकों की होगी. यह मॉडल फिजिकल करेंसी की ही तरह काम करेगा. पहले चरण में चार बैंक कुछ चुनिंदा ग्राहकों और मर्चेंट को डिजिटल करेंसी ऐप के लिए फोन पर मैसेज या ईमेल भेजकर इनवाइट करेंगे, जिन लोगों को इसके लिए चुना गया है वही पायलट प्रोजेक्ट में डिजिटल करेंसी यानि ई रूपये का उपयोग कर पाएंगे.
  3. इसके लिए डिजिटल करेंसी ऐप को डाउनलोड करना होगा. इसके बाद प्रक्रिया को पूरा करना होगा. इसके लिए रजिस्टर्ड फोन नंबर की जरूरत होगी. इस तरह ग्राहक ई वॉलेट अकाउंट पूरा कर पाएंगे. फिर अपना ई बैलेट बैंक से कनेक्ट करना होगा. इसके लिए डेबिट कार्ड को जरूरत होगी. यह प्रक्रिया यूपीआई अकाउंट सेटअप जैसी ही है.
  4. बैंक से जुड़ने के बाद अकाउंट से डिजिटल रूपी एप के ई वॉलेट में रूपये ट्रांसफर कर पाएंगे. अब उपभोक्ता उस योजना मर्चेंट को रुपए भेज पाएंगे. जिन्हें बैंक की ओर से इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत इनवाइट मिला है फिलहाल यह ट्रांजैक्शन कलोज्ड यूजर ग्रुप में होगा.

यूपीआई से होता है अलग

यूपीआई लेन देन में दो बैंक अकाउंट में एंट्री होती है. जबकि डिजिटल रुपये की एंट्री वाणिज्यिक बैंक के अकाउंट में नहीं की जाएगी. इसका रिकॉर्ड आरबीआई द्वारा रखा जाएगा. चयन बलाकचेन तकनीक पर आधारित है, जिससे आप का विवरण अधिक सुरक्षित रहेगा. क्रेडिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग या यूपीआई जमाया क्रेडिट की सुविधा देते हैं. इसमें रिजर्व बैंक की गारंटी नहीं होती है जबकि डिजिटल करेंसी में पूरा दायित्व रिजर्व बैंक का होता है.

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