वनवास के दौरान पंचकूला के इस मंदिर में अर्जुन ने की थी तपस्या, खुश होकर चंडी माता ने दिया था वरदान

पंचकूला | हरियाणा के पंचकूला में एक ऐसा प्राचीन मंदिर है,​​ जिसके नाम से ही चंडीगढ़ शहर का नाम रखा गया था. जी हां, हम आज बात कर रहे हैं प्राचीन चंडी माता के मंदिर की. इस मंदिर का इतिहास काफी सुनहरा व 5000 साल पुराना है. इसके निर्माण के पीछे भी एक रोचक कहानी छिपी हुई है. लोग कहते हैं कि 5000 साल पहले मंदिर की जगह पर एक साधु ने कई सालों तक घोर तपस्या की थी. जिसके पश्चात, उन्हें मां दुर्गा की मूर्ति मिली और तभी से इस मंदिर का निर्माण किया गया जो आज भी मौजूद है.

Chandi Mandir

चंडी माता ने अर्जुन को दिया वरदान

मंदिर पुजारी राजेश कुमार बताते हैं कि मंदिर का इतिहास महाभारत काल से भी जुड़ा है. माना जाता है कि पांडव अपने 12 साल के वनवास के दौरान यहां भी रुके थे और अर्जुन ने चंडी माता की तपस्या भी की थी. अर्जुन की तपस्या से प्रसन्न होकर चंडी माता ने अर्जुन को एक तेजस्वी तलवार और विजय का वरदान दिया था. जिसके बाद, पांडवों ने महाभारत के युद्ध में जीत प्राप्त की.

यूं बसाया गया चंडीगढ़ शहर

भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और पंजाब के पूर्व राज्यपाल चंदेश्वर प्रसाद नारायण सिंह चंडी माता के मंदिर में दर्शन करने गए थे. उन्होंने मंदिर को देखकर काफी खुशी जाहिर की. उसके बाद, वे उस मंदिर से प्रभावित हो गए. फिर उन्होंने घोषणा की कि अब चंडी माता के नाम पर एक शहर बसाया जाएगा, जिसका नाम रखा जाएगा चंडीगढ़. दरअसल, चंडी माता मंदिर से कुछ दूरी पर एक किला था जिसका नाम “गढ़” था और इन्हीं दो शब्दों को मिलाकर चंडीगढ़ का नाम रखा गया था.

मंदिर में गुप्त नवरात्रि में होती है भारी भीड़

मान्यता है कि जो भी यहां चंडी माता मंदिर में सच्चे मन से पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. वहीं, गुप्त नवरात्रि मंगलवार (19 जून 2023) से शुरू हो गए हैं. ऐसे में मंदिर में माथा टेकने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ भी पहुंच रही है.

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