टोक्यो पैरालंपिक: हादसे में गंवाया पैर लेकिन हौसले नहीं टूटे, अब जैवलिन थ्रो में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे सुमित

सोनीपत । कभी कुश्ती में देश का नाम विश्व पटल पर चमकाने का सपना लेकर अखाड़े में उतरे सुमित आंतिल की गाथा संघर्ष भरी रही है. साल 2015 में किस्मत ने उनकी जिंदगी के ऐसा खिलवाड़ किया कि एक दुर्घटना में एक पैर गंवाना पड़ा. उस वक्त सुमित को लगा कि अब तो शायद ही खेल के मैदान में उतरा जाएगा लेकिन दिल में खेलने का जुनून बाकी था. हादसे से उबरने के बाद सुमित एक दिन साई सेंटर गए तो वहां कोच वीरेंद्र धनखड़ ने उनकी हौसला-अफजाई की और कई पैरा एथलीट के संघर्ष की जीवनी बताई.

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बस उस दिन के बाद सुमित ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और कड़ी मेहनत से लक्ष्य को हासिल करने में जुट गए. अब सुमित टोक्यो पैरालंपिक में जैवलिन थ्रो में देश का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं. वें 24 अगस्त को टोक्यो के लिए उड़ान भरेंगे. सुमित ने कहा कि टोक्यो ओलम्पिक में नीरज चौपड़ा के गोल्ड मेडल जीतने के बाद तो हौसला कई गुना ज्यादा बढ़ गया है.

सुमित ने बताया कि 2004 में सिर से पिता का साया उठ गया था लेकिन पिता चाहते थे कि सुमित पहलवानी में कामयाबी हासिल करें. लेकिन 5 जनवरी 2015 को हुई दुर्घटना ने जैसे सब-कुछ छीन लिया हो. कोच वीरेंद्र भी पैरा एथलीट हैं और एशियन गेम्स में रजत पदक जीत चुके हैं. कोच वीरेंद्र ने ही सुमित को जैवलिन थ्रो में भविष्य बनाने की राही दिखाई. सुमित आंतिल की मां ने कहा कि उनका बेटा कड़ी मेहनत कर रहा है और हमें पूरी उम्मीद है कि हमारा बेटा भी जैवलिन थ्रो गेम्स में नीरज की तरह गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करेगा.

विश्व पैरा एथलीट में बना चुका विश्व रिकॉर्ड

इटली में आयोजित हुई विश्व पैरा एथलीट चैंपियनशिप में सुमित ने जैवलिन थ्रो में 60.45 मीटर भाला फेंककर विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया है. टोक्यो पैरालंपिक में सुमित की कोशिश अपने ही रिकॉर्ड को ध्वस्त करने पर रहेगी. फिलहाल सुमित गांव राठधाना (सोनीपत) स्टेडियम में टोक्यो पैरालंपिक की तैयारियों में जुटे हुए हैं. 24 अगस्त को मां का आशीर्वाद लेकर सुमित टोक्यो पैरालंपिक खेलों के लिए रवैया होंगे.

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