हरियाणा में अब मौसम रहेगा साफ, किसानों के लिए ये है विशेष सलाह

चंडीगढ़ | हरियाणा में अब अक्टूबर के मध्य में मौसम बदलना शुरू हो जाएगा. पिछले दिनों हुई बारिश के चलते इस बार मौसम विभाग की ओर से सर्दी का मौसम शुरू होने की जानकारी दी जा रही है. संभव है कि दीपावली आते-आते आप सुबह-शाम की ठंड पर कृपा करने लगें. लगातार धूप निकलने की उम्मीद है, जिससे खरीफ फसलों को लाभ होगा.दिवाली के आसपास जब हवा की गति कम होगी तो प्रदूषण का स्तर बढ़ना शुरू हो जाएगा.

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मौसम पूर्वानुमान

राजस्थान के ऊपर एक एंटीसाईक्लोनिक (13 अक्टूबर ,2022) सरकुलेशन बनने से हरियाणा राज्य में ज्यादातर क्षेत्रों में 19 अक्टूबर तक उत्तर पश्चिमी व पश्चिमी हवाएं चलने से वातावरण में उपस्थित नमी में गिरावट आने की संभावना है. इस दौरान राज्य में मौसम आमतौर पर खुश्क रहने तथा दिन के तापमान में हल्की बढ़ोतरी रहने की संभावना है.

मौसम पूरी तरह रहेगा साफ

पिछले दिनों हुई बारिश का पानी अब तक फसलों में भरा हुआ है. खिलती धूप के बीच यदि पछुआ हवाएं चले तो फसल ठीक से पक सकेगी. साथ ही, जलभराव में भी कमी आएगी. पानी निकालने से वह निकल जाएगा लेकिन जमीन के अंदर की नमी खुद सूरज से भी कम होगी. नमी कम होने पर ही किसान रबी की बुवाई कर सकेंगे. मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले दिनों में मौसम पूरी तरह साफ रहेगा.

फसलों को लेकर सलाह

चूंकि, अक्टूबर खत्म होने वाला है. ऐसे में अब किसान रबी की बुवाई का काम शुरू कर दें. अब सरसों की बुवाई का सही समय है. इसके अलावा किसान अब चारे की फसल बरसीम भी बो सकते हैं. सरसों की बुवाई करते समय कोशिश करें कि इसे शाम के समय करें. हालांकि, पिछले दिनों हुई बारिश के कारण इस समय अधिक तापमान नहीं है इसलिए किसान सुबह भी बुवाई करने से न हिचकिचाएं. कृषि वैज्ञानिक शाम को बुवाई करने की सलाह देते हैं क्योंकि बीज को जमीन में मिलाने पर ज्यादा गर्मी नहीं होनी चाहिए. तापमान कम होने पर ही बीज का अंकुरण सही होता है.

अब जिले में धान की शुरुआती किस्मों की कटाई भी शुरू हो गई है. कटाई के बाद जैसे ही जमीन खाली हो, किसानों को इसे गेहूं के लिए तैयार करना चाहिए लेकिन अभी गेहूं की बुआई का समय नहीं है. अगेती किस्में नवंबर के पहले सप्ताह में की जा सकती हैं. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने किसानों से धान के अवशेष को किसी भी हाल में नहीं जलाने का अनुरोध किया है क्योंकि इससे मौसम खराब होता है. विभाग का कहना है कि किसान फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन करें.

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