मेडल की खान है भिवानी का साई सेंटर, यहां का खिलाड़ी ही लाया था देश का पहला ओलंपिक पदक

भिवानी | हरियाणा के भिवानी जिले की पहचान बंसीलाल के कारण सिर्फ हरियाणा में नहीं बल्कि विदेशों में भी बन चुकी है. जिले के लाल बंसीलाल के कारण ही भिवानी राजनीतिक तौर पर फैमस हुआ है लेकिन अब दुनिया में भिवानी को मिनी क्यूबा और स्पोर्ट्स सिटी के नाम से भी पहचाना जाने लगा है, और यह बड़ी पहचान भारतीय खेल प्राधिकरण (साई सेंटर) की वजह से ही बनी हुई है.

Bhiwani SAI Center

साल 1986 में स्थापित साई सेंटर में जैसे- जैसे खिलाड़ी और पहलवान तैयार होते गए, यहां एक के बाद एक राष्ट्रीय लेवल से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के तक के पदक आने लगे, जिनकी संख्या अब हजारों में पहुंच चुकी है. साई सेंटर में कुश्ती और एथलेटिक्स की ट्रेनिंग दी जाती है. जिसकी सराहना हर खिलाड़ी और कोच के साथ- साथ खुद सेंटर प्रभारी भी कर रहे हैं.

देश के लिए पहला ओलंपिक मेडल लाया था यहां का खिलाड़ी

बता दें कि देश के लिए पहला ओलिंपिक मेडल जीतने वाले विजेंदर यहीं खेलते थे, उन्हें ही पहला कांस्य पदक मिला था. एक के बाद एक पीढ़ी भी यहां खेलने पहुंचती है. ओलिंपिक बॉक्सर विकास कृष्णन यादव के बेटे वीर यहां कुश्ती के गुर सीख रहे हैं, जिनका कहना है कि जैसे मेरे पिता बॉक्सर में गोल्ड लाते थे, वैसे ही मैं कुश्ती में लाऊंगा.

वहीं, सतीश पहलवान ने बताया कि यहां रहने और खाने की अच्छी सुविधा है. सभी प्रशिक्षक अच्छा अभ्यास कराते हैं. साई सेंटर में तैनात कोच शिक्षा और हरेंद्र सिंह का कहना है कि इस सेंटर से कुश्ती सीखकर कई पहलवानों ने देश- विदेश में नाम कमाया है. यहां छोटे- छोटे बच्चे राष्ट्रीय और बड़े अंतरराष्ट्रीय मेडल लाने की तैयारी करते हैं.

साई सेंटर पदकों की खान बन गया

भिवानी साई सेंटर के प्रभारी कुलदीप सिंह ने बताया कि यहां से 8- 9 खिलाड़ियों ने अर्जुन अवार्ड भी जीता है. इस सेंटर को 4 हजार राष्ट्रीय और 2 हजार अंतरराष्ट्रीय पदक मिल चुके हैं. उन्होंने बताया कि समय के साथ यहां सुविधाएं लगातार बढ़ जा रही हैं. अगर आपके मन में कुछ करने का हौसला हो और साथ ही उस हौसलों को उड़ान देने वाला कोई शिक्षक भी मिल जाए तो आपको अपनी मंजिल तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता. साईं सेंटर दे रहा है. भिवानी के युवाओं के हौसलों को उड़ान! जिसके चलते साई सेंटर अब पदकों की खान बन गया है.

इस सेंटर में आने का मतलब कामयाबी

आज के युवाओं का इस सेंटर आने का मतलब ही कामयाबी हो चुका है. इस सेंटर में अभी तक खिलाड़ी काफी सारे मेडल ला चुके हैं, जिनकी वजह से अब इस सेंटर का काफी नाम रोशन हो चुका है. प्रदेश से बड़े स्तर पर युवा इस सेंटर में ट्रेनिंग लेने जाते हैं जो वाकई में कामयाबी की नई मिसाल पैदा कर आते हैं. इस सेंटर में खिलाड़िय़ों को बड़ी मेहनत और लग्न से मेहनत करनी होती है, जो उनकी कामयाबी का अंतिम राज़ है.

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